पवन की रिपोर्ट, Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के छतरपुर का जिला अस्पताल इन दिनों चूहों के आतंक से जूझ रहा है। आलम यह है कि अस्पताल के बच्चा वार्ड और प्रसूता वार्ड में भर्ती माताएं और उनके नवजात बच्चे चूहों की दहशत में जीने को मजबूर हैं। वायरल हो रहे तस्वीरों में दिख रहा है कि चूहों से बचने के लिए माताएं अपने बच्चों को हर समय अपने आंचल में छिपाए रखने को मजबूर हैं। यह स्थिति ना केवल मरीजों के लिए, बल्कि डॉक्टरों और स्टाफ के लिए भी बड़ी परेशानी का कारण बन गई है।
छतरपुर के अस्पताल में चूहे का आतंक
अस्पताल के अंदर चूहों का यह आतंक सिर्फ वार्ड तक ही सीमित नहीं है। वे बच्चों की दवाइयां रखी हुई अलमारियों में घुस रहे हैं और रिकॉर्ड रूम में रखे गए महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भी कुतर रहे हैं। इससे डॉक्टरों का काम करना मुश्किल हो गया है। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी इस समस्या से बेहद परेशान हैं। इस समस्या से निपटने के लिए, करीब डेढ़ साल पहले अस्पताल प्रबंधन ने डेढ़ लाख रुपये की लागत से चूहों को भगाने और मारने का ठेका एक कंपनी को दिया था।
चूहों से निपटने के लिए व्यवस्था
हालांकि, ठेकेदार द्वारा किए गए काम का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है और अब ठेके की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, सिविल सर्जन डॉ. शरद चौरसिया ने तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सफाईकर्मियों को सख्त हिदायत दी है कि वे कल से ही चूहों को पकड़ने और भगाने के लिए काम शुरू करें। इसके साथ ही, उन्होंने एक नया टेंडर जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
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