Parenting Tips for Teens: बच्चों का 15 से 18 साल का समय सबसे नाजुक और अहम माना जाता है, इस उम्र में बच्चे अपनी सोच बदलते हैं और खुद को आज़ाद महसूस करना चाहते हैं. वे नई चीजें सीखने और दुनिया को अलग नजरिए से देखने लगते हैं, अगर इस वक्त उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिले, तो गलत संगत या फैसलों की वजह से उनका भविष्य प्रभावित हो सकता है इसलिए माता-पिता का यह जिम्मा बनता है कि वे बच्चों को सही और जीवन की अहम बातें सिखाएं. सही दिशा, समझदारी से दोस्ती और माता पर भरोसा जैसे पाठ बच्चों को जिम्मेदार और आत्मविश्वासी बनाते हैं, जब बच्चे यह सीख जाते हैं, तो वे हर चुनौती का सामना कर सकते हैं.
सही दिशा और मेहनत की सीख
पैरेंटिंग एक्सपर्ट पुष्पा शर्मा के अनुसार बच्चों को यह बताना चाहिए कि उनके जीवन में अभी बहुत अवसर हैं, सफलता पाने के लिए बच्चों को मेहनत करनी होगी और सही दिशा का चुनाव करना होगा. साथ ही, अच्छे रिजल्ट्स का धैर्यपूर्वक इंतजार करना भी जरूरी है. जब बच्चे यह समझ लें कि मेहनत और सही मार्गदर्शन से ही सफलता मिलती है, तो वे गलत रास्तों से दूर रहते हैं और अपने सपनों को हासिल कर पाते हैं.
दोस्ती और समझदारी
एक्सपर्ट का कहना है कि दोस्त जीवन में मदद भी कर सकते हैं और परेशानी भी इसलिए बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि दोस्ती सोच-समझकर करनी चाहिए. गलत संगत समय और मेहनत दोनों बर्बाद कर सकती है, सही दोस्त चुनने की कला सीखने से बच्चे जिम्मेदार और समझदार बनते हैं. यह उन्हें सही निर्णय लेने और जीवन में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है.
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मां पर भरोसा और खुलापन
पुष्पा शर्मा बताती हैं कि बच्चों को अपनी मां से हर बात शेयर करनी चाहिए, मां का मार्गदर्शन बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और हर समस्या का सामना करने की हिम्मत देता है. मां बच्चों की सुरक्षा और समझदारी की सबसे बड़ी गारंटी होती हैं, जब बच्चे अपनी मां पर भरोसा करना सीख जाते हैं, तो वे जीवन में सही फैसले और साहस के साथ आगे बढ़ते हैं.
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