kheerganga River History: उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में बादल फटने से भारी तबाही मची है। इसका सबसे ज़्यादा असर धराली गाँव में देखने को मिला, जहाँ बादल फटने के बाद खीरगंगा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया और ऐसी तबाही मचाई कि देखकर हर कोई दहल गया। खीरगंगा नदी घर, होटल, होमस्टे समेत सब कुछ बहा ले गई। धराली में हुई तबाही के वीडियो में इसे साफ़ देखा जा सकता है।
इस तबाही के बाद सवाल उठ रहा है कि धराली गाँव को तबाह करने वाली नदी को सब खीरगंगा क्यों कहते हैं? और इसे यह नाम किसने दिया – और इसका उद्गम कहाँ से होता है? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
खीरगंगा नदी और उससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
आपको बता दें कि खीरगंगा नदी भागीरथी नदी की एक सहायक नदी है और उत्तरकाशी जिले में बहती है। खीरगंगा विनाशकारी बाढ़ के लिए जानी जाती है और श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलती है। इस नदी के बारे में मान्यता है कि इसका पानी इतना स्वच्छ और शुद्ध है कि यह दूध या खीर जैसा दिखता है। यही कारण है कि इसका नाम खीरगंगा पड़ा।
दूसरी ओर, अगर पौराणिक मान्यता की बात करें तो कहा जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहाँ तपस्या की थी। उनकी माता पार्वती ने कार्तिकेय के लिए दूध की धारा प्रवाहित की थी, जो खीर के समान थी। इसका दुरुपयोग होने से बचाने के लिए – बाद में इस धारा को जल में परिवर्तित कर दिया गया।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस नदी में स्नान करने से कई बीमारियों से राहत मिलती है। इसके अलावा, इस नदी के पास गर्म पानी के कुंड भी मौजूद हैं।
पहले भी विनाशकारी तबाही मचा चुकी है खीरगंगा नदी
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब खीरगंगा नदी ने तबाही मचाई हो। इससे पहले भी कई बार यह अपना विनाशकारी रूप दिखा चुकी है। 19वीं सदी में खीरगंगा में आई भयानक बाढ़ ने 206 मंदिरों को नष्ट कर दिया था। हाल के वर्षों में भी, 2013 और 2018 में, यह नदी उफान पर थी, जिससे इलाके को भारी नुकसान हुआ था।
अब खीरगंगा ने अपने रौद्र रूप से धराली गाँव में भारी तबाही मचाई है। खबरों के मुताबिक, इस बाढ़ के कारण 5 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 100 लोग लापता हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं।