Uttarkashi Highway Tree Cutting: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पिछले कई दिनों से पर्यावरणप्रेमियों द्वारा चलाए जा रहे शांतिपूर्ण विरोध का बड़ा असर देखने को मिला है. गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित लगभग 6,800 पेड़ों की कटाई अब टल गई है. स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संदेश दिया, जो एक अनोखे ‘चिपको-स्टाइल’ आंदोलन जैसा स्वरूप लेता गया. भारी जनसमर्थन के बाद सरकार और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने सड़क चौड़ीकरण के मानकों में बदलाव करने का निर्णय लिया, जिससे हजारों पेड़ों को कटाई से राहत मिल सकेगी.
क्यों महत्वपूर्ण है गंगोत्री हाईवे?
गंगोत्री हाईवे सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मार्ग उत्तराखंड से चीन सीमा तक भारतीय सेना की आवाजाही को आसान करता है. सड़क परिवहन मंत्रालय और BRO ने शुरुआत में 12 मीटर चौड़ी सड़क बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसके लिए 6,822 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी. केंद्र ने इसकी अनुमति भी दे दी थी, लेकिन क्षेत्र की संवेदनशीलता—क्योंकि यह पूर्णतः ईको-सेंसिटिव ज़ोन में आता है और हाल के वर्षों में यहां गंभीर आपदाएँ आ चुकी हैं—को देखते हुए इस निर्णय का पर्यावरणविदों ने तीखा विरोध किया.
पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होगा – पर्यावरणप्रेमी
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होगा, भू-क्षरण बढ़ेगा और आपदा जोखिम भी गंभीर रूप से बढ़ जाएगा. हजारों लोग मौके पर एकत्र हुए और पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें बचाने की सामूहिक प्रतिज्ञा ली. इस अभियान ने प्रशासन का ध्यान खींचा और अंततः परियोजना में बदलाव किए गए.
1,000 से अधिक पेड़ ट्रांसप्लांट करेगा BRO
अब सड़क की चौड़ाई 12 मीटर से घटाकर 11 मीटर करने का निर्णय लिया गया है. इस एक मीटर की कटौती से पर्यावरण को बड़ा लाभ मिलेगा. संशोधित प्लान के अनुसार अब केवल 1,413 पेड़ ही कटेंगे, यानी लगभग 5,400 पेड़ बच जाएंगे. साथ ही, BRO का कहना है कि जिन पेड़ों को हटाना अनिवार्य होगा, उनमें से 1,000 से अधिक पेड़ ट्रांसप्लांट (स्थानांतरण) किए जाएंगे.
गंगोत्री हाईवे को लेकर जानकारी
गंगोत्री हाईवे पर बनने वाली यह सड़क लगभग 90 किलोमीटर लंबी होगी, जिसकी शुरुआत बड़ैथी से होकर भैरव घाटी तक होगी. BRO कमांडर राजकिशोर सिंह ने बताया कि चौड़ाई कम करने से पर्यावरणीय नुकसान में भारी कमी आएगी और स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान भी होगा. वहीं, सेना की लॉजिस्टिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सड़क निर्माण जारी रहेगा, लेकिन अब यह एक संतुलित और अधिक सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ेगा.