Home > देश > TMC Mamata Banerjee Demands Apolog: ‘हर हद पार कर ली गई है’, ऐसा क्या हुआ कि Delhi Police पर बिफरी ममता बनर्जी की TMC, उठाई ये बड़ी मांग

TMC Mamata Banerjee Demands Apolog: ‘हर हद पार कर ली गई है’, ऐसा क्या हुआ कि Delhi Police पर बिफरी ममता बनर्जी की TMC, उठाई ये बड़ी मांग

टीएमसी ने मांग उठाई कि हम बिना शर्त माफी, तत्काल सुधार और इस अपमानजनक कृत्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।

By: Ashish Rai | Published: August 3, 2025 6:38:43 PM IST



TMC Mamata Banerjee Demands Apology: तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाली भाषियों को कथित तौर पर बांग्लादेशी बताए जाने के खिलाफ लगातार आंदोलन की घोषणा कर रही हैं और आरोप लगा रही हैं कि बंगालियों का अपमान किया जा रहा है। बंगाली भाषा का अपमान किया जा रहा है। बंगाली लोगों को बंगाली बोलने के लिए हिरासत में लिया जा रहा है। अब टीएमसी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस ने भी बंगाली को बांग्लादेशी भाषा बताया है। इसको लेकर ममता बनर्जी की पार्टी ने दिल्ली पुलिस से माफ़ी मांगने की माँग की है।

तृणमूल कांग्रेस ने सोशल साइट X पर दिल्ली पुलिस को लिखा एक पत्र पोस्ट किया है। इस पोस्ट में कहा गया है कि बंगालियों के प्रति भाजपा की नफ़रत की कोई सीमा नहीं है? भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी कार्यकर्ताओं को बार-बार परेशान किया जा रहा है और हिरासत में लिया जा रहा है। अब बंगाली को आधिकारिक तौर पर “बांग्लादेशी भाषा” घोषित कर दिया गया है। हर हद पार हो गई है।

पोस्ट में कहा गया है कि इसमें कोई संदेह नहीं है: यह कोई लिपिकीय त्रुटि नहीं है। यह जानबूझकर किया गया अपमान है, एक संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा को उसकी पहचान से वंचित करने और लाखों बंगाली भाषी भारतीयों को अपने ही देश में बाहरी के रूप में चित्रित करने का एक आधिकारिक प्रयास है।

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दिल्ली पुलिस ने बांग्ला को बांग्लादेशी भाषा बताया

उन्होंने कहा कि बांग्ला दुनिया भर में 25 करोड़ से ज़्यादा लोग बोलते हैं और इसे भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक माना जाता है। इसे “बांग्लादेशी” कहना जानबूझकर किया गया अपमान है, इस भाषा को बदनाम करने, इसकी भारतीय जड़ों को मिटाने और बंगाली भाषियों को बाहरी बताने का एक घिनौना प्रयास है।

टीएमसी ने मांग उठाई कि हम बिना शर्त माफी, तत्काल सुधार और इस अपमानजनक कृत्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।

तृणमूल पिछले कुछ दिनों से ऐसी कई शिकायतें कर रही है। इसके विरोध में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाषा आंदोलन का आह्वान किया है। इस बार राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने इस मुद्दे को और तेज़ कर दिया है। तृणमूल ने दिल्ली पुलिस द्वारा बंग भवन को भेजे गए एक पत्र के ज़रिए फिर से अपनी आवाज़ उठाई है।

जानिए क्या है विवाद?

तृणमूल ने दिल्ली पुलिस के पत्र को एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है। वहाँ विवादास्पद हिस्सों को हाइलाइट किया गया है। तृणमूल द्वारा पोस्ट किए गए संबंधित पत्र में देखा जा सकता है कि दिल्ली पुलिस ने लिखा है कि उन्हें एक अनुवादक की ज़रूरत है। बांग्लादेशी भाषा का अनुवाद कौन कर सकता है? दरअसल, दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी होने के संदेह में कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे कुछ जानकारियाँ ज़ब्त की हैं। उन्होंने उस दस्तावेज़ की पुष्टि के लिए अनुवादक की माँग की है। वहाँ देखा जा सकता है कि बांग्लादेशी भाषा के लिए अनुवादक की ज़रूरत है।

वहीँ, बीजेपी एमएलए शंकर घोष ने कहा, “मैं बस इतना कहूँगा, तरह-तरह के झूठ बोले जा रहे हैं। मैं पूरा मामला जानने के बाद जवाब दूंगा।” बंगाली पहचान के मुद्दे पर बंगाली राजनीति पहले से ही उथल-पुथल में है। दरअसल, इस राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने बार-बार इस बात पर गुस्सा जताया है कि बंगाली प्रवासी श्रमिकों को बंगाली बोलने के लिए परेशान किया गया है। कुणाल घोष और फिरहाद हकीम ने प्रवासी श्रमिकों के एक वर्ग के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। स्थिति ऐसी है कि दिल्ली पुलिस के इस पत्र ने आग में घी डालने का काम किया है।

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