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Jinnah के बाप ने कराया था धर्म परिवर्तन, इस तरह किया ब्रैनवॉश, फिर Hindu क्या Muslims का भी लूटा घर

Muhammad Ali Jinnah: भारत को दो टुकड़ों में तोड़ देने वाला मोहम्मद अली जिन्ना की कहानी सुन आज आपके भी पसीने छूटने वाले हैं। जैसा की आप सभी जानते हैं वो शख्स जिन्ना ही था जो आजादी के दौरान धर्म के आधार पर अलग देश बनाने की बात कह रहा था,

By: Heena Khan | Last Updated: August 11, 2025 11:42:39 AM IST



Muhammad Ali Jinnah: भारत को दो टुकड़ों में तोड़ देने वाला मोहम्मद अली जिन्ना की कहानी सुन आज आपके भी पसीने छूटने वाले हैं। जैसा की आप सभी जानते हैं वो शख्स जिन्ना ही था जो आजादी के दौरान धर्म के आधार पर अलग देश बनाने की बात कह रहा था, अंत में उसकी जीत हुई और भारत से अलग होकर पाकिस्तान की नीव रखी गई। यही वजह है कि जिन्ना को पाकिस्तान में राष्ट्रपति का दर्जा दिया जाता है। अलग देश बनाने वाले जिन्ना भारत के कई शहरों में घूमता रहता था। चौंका देने वाली बात यह है कि धर्म के आधार पर दूसरा देश बनाने की बात करने वाले जिन्ना का जन्म भी एक सनातन परिवार में हुआ था। जी हाँ जिन्ना का भी धर्म परिवर्तन हुआ था। वो कैसे ये जानकर आप सभी हैरान रह जाएंगे। 

इस तरह अपनाया इस्लाम धर्म 

आपकी जानकारी के लिए बता दें, मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का संस्थापक कहा जाता है, जिनका जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता ने सिर्फ़ एक नाराज़गी के चलते अपना धर्म बदलकर इस्लाम धर्म अपना लिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन मुस्लिम धर्म के साथ बिताया और अपने बच्चों को भी यही धर्म अपनाने को कहा। इसके बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने धर्म के आधार पर ही देश को दो टुकड़ों में बाँट दिया। 

धर्म परिवर्तन से है पुराना नाता 

दरअसल, मोहम्मद अली जिन्ना का परिवार गुजरात के काठियावाड़ का रहने वाला था। गांधीजी और जिन्ना, दोनों ही गुजरात से गहरा ताल्लुक रखते थे। उनके दादा का नाम प्रेमजीभाई मेघजी ठक्कर था। बताया जाता है कि, वो हिंदू थे और काठियावाड़ के पनेली गाँव के रहने वाले थे। प्रेमजीभाई मछली के व्यापार से पैसा कमाते थे और मुंबई में एक व्यापारी थे। वहीँ प्रेमजीभाई लोहना जाति से थे और उनके समुदाय के लोग नहीं चाहते थे कि वो मछली का व्यापार करें क्योंकि वो मासाहारी चीजों से सख्त नफरत करते थे। 

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दादा के इस काम से चिढ़ गया था समाज 

जब प्रेमजी भाई ने मछली का व्यवसाय शुरू किया, तो उन्हें इससे अच्छी कमाई होने लगी और उनकी जाति को लेकर कड़ा विरोध हुआ । उन्हें कहा गया कि अगर उन्होंने यह व्यवसाय नहीं छोड़ा, तो उन्हें जाति से निकाल दिया जाएगा। प्रेमजी ने व्यवसाय जारी रखा और जाति में वापस लौटने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी और उनका बहिष्कार कर दिया गया। इस बहिष्कार के बावजूद, प्रेमजी हिंदू बने रहे, लेकिन उनके बेटे पुंजालाल ठक्कर को अपने पिता और परिवार का अपमान पसंद नहीं आया और उन्होंने अपने चारों बेटों का धर्म परिवर्तन करा दिया और इस्लाम धर्म अपना लिया।

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