Maulana Arshad Madani: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार (31 अगस्त) को असम में अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध चल रहे अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। अरशद मदनी ने असम सरकार द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को मुस्लिम समुदाय के लोगों पर अत्याचार करार दिया है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार (31 अगस्त) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर इस पर आपत्ति जताई है। अरशद मदनी ने कहा, ‘असम में मुस्लिम बस्तियों को नहीं, बल्कि देश के संविधान और कानून को नष्ट किया गया है। मुसलमानों को जीने का अधिकार देना सरकार का कर्तव्य है।’
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‘हिंदू-मुस्लिम की सियासत पर भड़के अरशद मदनी’
उन्होंने कहा, ‘हिंदू-मुस्लिम करके सत्ता हासिल की जा सकती है, लेकिन देश नहीं चलाया जा सकता। आज देश उस मुकाम पर पहुँच गया है जहाँ नफरत को देशभक्ति का जामा पहनाया जा रहा है और अत्याचारियों को कानून के शिकंजे से बचाया जा रहा है।’ अरशद मदनी ने कहा, ‘मुसलमान ही नहीं, बल्कि पूरे देश का अस्तित्व देश में सांप्रदायिकता की आग में जल रहा है।’
मुसलमान एक-दो नहीं, बल्कि कई समस्याओं से जूझ रहे हैं – अरशद मदनी
वहीं, एक अन्य पोस्ट में मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘मुसलमान एक-दो नहीं, बल्कि कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। आज़ादी के बाद सांप्रदायिक सोच को बढ़ावा मिला और मुसलमानों के ख़िलाफ़ माहौल बनाया गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद इन ताकतों के ख़िलाफ़ सबसे पहले सामने आई। हम सड़कों पर नहीं लड़ेंगे, क्योंकि यह देश के लिए नुकसानदेह है। हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो सत्ता में रहकर इन सांप्रदायिक ताकतों को खुली छूट दे रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मुसलमान एक हज़ार साल से भी ज़्यादा समय से भारत में रह रहे हैं। केरल से लेकर कश्मीर तक, हर समुदाय में हिंदू भी हैं और मुसलमान भी। हमारा इतिहास किसी से कम नहीं है। इस देश की तरक्की तभी संभव है जब आपसी भाईचारा और सद्भाव बना रहे।’