Kangana Ranaut On Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में आयोजित ‘संघ यात्रा के 100 वर्ष: नए क्षितिज’ कार्यक्रम को संबोधित किया। संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस इस वर्ष अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस आयोजन में योग गुरु रामदेव, जदयू नेता केसी त्यागी, बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अनुप्रिया पटेल जैसे गणमान्य लोग इसमें शामिल हुए।
मोहन भागवत से मिलना, सुनना, गर्व की बात – कंगना रनौत
भाजपा सांसद कंगना रनौत ने RSS के शताब्दी समारोह में पहुंचने पर कहा कि, “हमारे लिए मोहन भागवत से मिलना, उन्हें सुनना, गर्व की बात है”। इसके अलावा उन्होंने एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र (जीतू) पटवारी के बयान पर कहा कि, “कांग्रेस की मानसिकता हमेशा से महिला विरोधी रही है। जिस तरह से उन्होंने पहले भी महिलाओं पर टिप्पणी की है, क्या भाव चल रही हैं मंडी की बेटियां यह मेरे लिए कहा गया था। इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है कि कांग्रेस ने एक बार फिर महिलाओं का अपमान किया है।”
#WATCH | Delhi: On RSS chief Mohan Bhagwat’s speech at the RSS event to mark their centenary celebrations, BJP MP Kangana Ranaut says, “We were very fortunate that we received the opportunity to hear the thoughts of Mohan Bhagwat. RSS is the biggest organisation towards building… pic.twitter.com/9jQoSRYJpI
— ANI (@ANI) August 26, 2025
हिंदू की परिभाषा
RSS प्रमुख ने हिंदू की परिभाषा भी साझा की। उन्होंने कहा हिंदू वह है जो अपने मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है और अलग-अलग मान्यताओं वाले लोगों का भी सम्मान करता है।
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस का सार हमारी प्रार्थना की अंतिम पंक्ति में निहित है, जिसे हम प्रतिदिन दोहराते हैं – ‘भारत माता की जय’। यह हमारा देश है और हमें इसकी प्रशंसा करनी चाहिए। हमें इसे दुनिया में नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
सावरकर और स्वतंत्रता की प्रेरणा
संघ प्रमुख ने वीर सावरकर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों की एक और लहर आई थी, जिसने कई प्रेरक उदाहरण छोड़े। आज़ादी के बाद उस लहर का उद्देश्य समाप्त हो गया। सावरकर जी उस लहर के रत्न थे। उस समय के आंदोलन ने लोगों को देश के लिए जीने और मरने की प्रेरणा दी। 1857 के विद्रोह के बाद, कुछ लोगों ने आज़ादी हासिल करने के लिए राजनीति को हथियार बनाया और उसकी नई लहर का नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया।
अगर उस आंदोलन ने आज़ादी के बाद भी उसी तरह प्रकाश डाला होता, जैसा उसे डालना चाहिए था, तो आज की तस्वीर बिल्कुल अलग होती।