संतोष चौहान की रिपोर्ट, Ghaziabad News: हर वर्ष बरसात होती है, हर बरसात में स्थानीय जनता परेशान होती है। जनप्रतिनिधि जनता को आश्वासन देते हैं कि अगली बार बरसात से पहले सभी नालों की सफाई कराई जाएगी, टूटे हुए नालों की मरम्मत कराई जाएगी। ऐसा लगभग, हर वर्ष सुनने और देखने को मिलता है। तुरंत इन लापरवाह अधिकारियों के कारण सरकार की छवि धूमिल होती है।
ग्रेटर गाजियाबाद बनाने की घोषणा
जनता सरकार को कोष्ती है, नगर पालिका लोनी क्षेत्र में आने वाले सभी तालाबों की भूमि पर अतिक्रमण हो गया है। सभी अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। अतिक्रमण करने वालों से पैसे की उगाई का बंदरबांट हो जाता है। अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे रहते हैं। नगर पालिका लोनी राजनीति का शिकार हो रही है यहां 55 बढ़ है नगर पालिका में जनसंख्या के तौर पर अगर आंका जाए, तो प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रेटर गाजियाबाद बनाने की घोषणा के साथ लोनी नगर पालिका को नगर निगम से जोड़ने की घोषणा गाजियाबाद के मंच से करके गए हैं।
अधिकारियों की आंखों पर बंधी है पट्टी
मुख्यमंत्री की मनसा ग्रेटर गाजियाबाद बनाने को लेकर अधिकारियों की पूरी लापरवाही साफ-साफ देखी जा सकती है, कि नगर पालिका कार्यालय जहां पर एसडीएम तहसीलदार अधिशासी अभियंता नगर पालिका, नगर पालिका की चुनी हुई अध्यक्षा रंजीत धामा भी इसी रास्ते से निकलते हैं। कार्यालय से मात्र 500 मीटर की दूरी पर बने चौक की स्थिति बरसात में बद से बदत्तर हो जाती है, जिस चौक से अधिकारी अपने कार्यालय जाने आने के लिए दिन में चार बार प्रयोग करते हैं। इस चौक पर चारों तरफ जल जमाव हो रहा है। अधिकारियों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। जनता उसे गंदे पानी से निकलती है, तो सरकार को बुरा भला कहते हुए यहां तक की कभी-कभी गलियों का भी उपयोग किया जाता है। परंतु इन लापरवाह अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। नगर पालिका क्षेत्र में एक दर्जन तालाबों की स्थिति यह हो गई है कि उन पर अतिक्रमण किया जा रहा है जमीन बेचकर मकान बनाए जा रहे हैं।
ऊंट के मुंह में जरा जैसी स्थिति
मुख्यमंत्री जनता की सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखने के लिए लखनऊ से बार-बार आदेश देते हैं। परंतु लगता है, कि मुख्यमंत्री द्वारा लखनऊ से दिए गए आदेश की आवाज गाजियाबाद के लोनी तक पहुंचते-पहुंचते धीमी पड़ जाती है, इसीलिए अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंच पाती है। नगर पालिका की यह तीसरी योजना है कि एक ही परिवार के दंपत्ति चुनकर नगर पालिका अध्यक्ष जनता द्वारा बनाया जा रहा है, फिर भी केवल ऊंट के मुंह में जरा जैसी स्थिति वाले काम को विकास का नाम दे दिया जाता है।
सफाई कहीं पर नजर नहीं आती
प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका होने के नाते यहां की साफ सफाई का खर्चा लगभग चार करोड रुपए महीने का सरकार द्वारा उठाया जाता है परंतु सफाई कहीं पर नजर नहीं आती है इस पैसे को भी ठेकेदार के माध्यम से फर्जी बिल बनवा कर पास कर लिया जाता है। मुख्यमंत्री के बार बार संज्ञान लेने के बाद भी स्थिति डाक के तीन पात की बनी हुई है।

