अजय जंडयाल की रिपोर्ट, Jammu: यह स्वतंत्रता दिवस कुछ अलग है—यह भारतीय सेना के हालिया और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला राष्ट्रीय पर्व है, जिसमें सीमा पार के 9 आतंकी ठिकाने, 11 एयरबेस और कई पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए थे। जहां पूरा देश 79वां स्वतंत्रता दिवस पूरे जोश और गर्व के साथ मना रहा है, वहीं जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर जवान 24 घंटे चौकन्ने रहकर दुश्मन की हर हरकत पर नज़र रखे हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और पीओके में सक्रिय आतंकी संगठन इस मौके पर घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे इनपुट्स के बाद सेना ने एलओसी पर चौकसी और कड़ी कर दी है—जिसमें गहन जंगल तलाशी अभियान, निरंतर गश्त और तेज़ रफ्तार कॉम्बैट ऑपरेशन शामिल हैं।
सेना की रणनीति
सेना की रणनीति अब पहाड़ों और घने जंगलों के अंदर तक पहुंच चुकी है, जहां आतंकी अक्सर छिपते हैं। एटीवी, महिंद्रा आर्माडो जैसे ऑल-टेरेन व्हीकल और रोबोटिक म्यूल की मदद से जवान कठिन से कठिन इलाकों में आसानी से पहुंच रहे हैं। ये तकनीक हथियार पहुंचाने, दुश्मन की निगरानी करने और उनके ठिकाने ट्रैक करने में अहम भूमिका निभा रही है।ऑपरेशन सिंदूर का ऑपरेशनल मोमेंटम अब भी बरकरार है। हालिया ऑपरेशन में सटीक बमबारी से दुश्मन के ठिकाने तबाह करने वाले भारतीय सेना के जवान अब एक बार फिर पिनपॉइंट टारगेट के साथ तैयार हैं—ताकि दुश्मन के ठिकानों को खत्म किया जा सके और किसी भी आगे की आक्रामकता को रोका जा सके। एलओसी पर हाई-डेफिनिशन कैमरों और सर्विलांस ड्रोन की मदद से सीमा पार की हर गतिविधि पर रियल-टाइम में नज़र रखी जा रही है।
एलओसी पर चौकसी चरम
विशेष बंकर बस्टिंग टीमें भी हर वक्त तैयार हैं, जो आदेश मिलते ही चंद मिनटों में दुश्मन के बंकर पर कब्जा कर सकती हैं। एलओसी की तारबंदी पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस जवान घने कोहरे, तेज बारिश और दुर्गम रास्तों में भी अपनी पोस्ट पर मजबूती से डटे रहते हैं।एलओसी पर बने कमांड एंड कंट्रोल सेंटर ऑपरेशन की रीढ़ की हड्डी की तरह काम कर रहे हैं—जहां इंटेलिजेंस इकट्ठा की जाती है, जवानों की गतिविधियों का समन्वय होता है और ज़रूरत पड़ते ही सटीक वार किए जाते हैं।देश के लिए स्वतंत्रता दिवस आज़ादी का त्योहार है, लेकिन एलओसी पर तैनात इन जवानों के लिए यह दिन उस वचन का प्रतीक है—कि दुश्मन का कोई भी कदम देश की सरहद पार नहीं कर पाएगा।