S Jaishankar In SCO : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में अपने समकक्षों को पहलगाम हमले का हवाला देते हुए याद दिलाया कि संगठन को उन “तीन बुराइयों” से लड़ने के लिए प्रयास जारी रखना चाहिए जिनके लिए इसकी स्थापना की गई थी।
चीन के तियानजिन शहर में आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने कहा, “एससीओ की स्थापना जिन तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी, वो हैं आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ये अक्सर एक साथ घटित होती हैं। हाल ही में, भारत में हमने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका एक ज्वलंत उदाहरण देखा। यह जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।”
UNSC, जिसके हममें से कुछ वर्तमान में सदस्य हैं, ने एक बयान जारी कर इसकी कड़े शब्दों में निंदा की और “आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया”। हमने तब से ठीक यही किया है और आगे भी करते रहेंगे। पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है और भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा।
Participated in the SCO Council of Foreign Ministers Meeting this evening in Tianjin.
Highlighted that:
➡️ We meet at a time of considerable disorder in the international system. In the last few years, we have seen more conflicts, competition and coercion. Economic… pic.twitter.com/w8XKZ4FLe2
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
चीन में ऑपरेशन सिंदूर की गूंज
उन्होंने आगे कहा, ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ देते हुए, जिसमें भारत ने उन आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था जिन्होंने पहलगाम हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और भारत को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे अन्य आतंकवादी समूहों के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र के साथ-साथ अवैध रूप से कब्जे वाले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत का बीजिंग को साफ संदेश
जयशंकर ने ड्रैगन को साफ संदेश देते हुए कहा कि हमें आतंकवाद पर अपने दोहरे मापदंड छोड़ने होंगे। जयशंकर ने तीन सुझाव दिए। एससीओ सदस्यों को एक ‘कॉमन टेरर फाइनेंसिंग वॉचलिस्ट’ बनानी चाहिए ताकि इनपुट्स साझा करना अनिवार्य हो। आतंकी समूह अब क्रिप्टो और डार्कनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में एक केंद्रीकृत साइबर हब बनाकर संदिग्ध लेन-देन को रोकना होगा। पहलगाम जैसी घटनाएँ बताती हैं कि आतंकवाद सिर्फ़ सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, यह समाज, पर्यटन और सांस्कृतिक ताने-बाने को भी प्रभावित करता है।