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सहस्त्रधारा का पानी पीते ही यमराज खींच लेंगे प्राण!

Sahastradhara waterfall: देहरादून में सहस्त्रधारा के पास बादल फटने से भारी तबाही मची है. सहस्त्रधारा का पानी पीने योग्य नहीं है, लेकिन कई बीमारियों के लिए रामबाण है

By: Sohail Rahman | Published: September 16, 2025 3:29:36 PM IST



Sahastradhara Historical Facts: देहरादून की सहस्रधारा (Dehradun Cloudburst) आज सुर्ख़ियों में हैं, क्योंकि यहां बदल फटने की वजह से भारी तबाही हुई है. जानकारी के अनुसार, दो लोगों के लापता होने की खबर है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि सहस्त्रधारा (Sahastradhara) देश और दुनिया भर के पर्यटकों के लिए काफी लोकप्रिय है. जो लोग पहाड़ों पर घूमने आते हैं वो यहां जलधाराओं में अटखेलियां करना नहीं भूलते हैं. लेकिन, बादल फटने की घटना के कारण इस सहस्रधारा के आसपास के इलाके संकट में पड़ गए हैं.

सहस्रधारा क्या है? (What is Sahasradhara?) 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि सहस्रधारा का अर्थ ( Sahasradhara Meaning) हजार गुना झरना या हज़ार धाराओं वाला झरना होता है. यह देहरादून (Dehradun Tourist Spots) ज़िले का एक प्रसिद्ध प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. यह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 11-15 किलोमीटर दूर बाल्डी नदी के तट पर स्थित है. यह स्थान अपनी गंधकयुक्त (सल्फरयुक्त) गर्म जलधाराओं, खूबसूरत झरनों, गुफाओं और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. सहस्रधारा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, जो पौराणिक कथाओं, स्थानीय लोक मान्यताओं और औपनिवेशिक काल तक जाता है.

प्राचीन काल से तीर्थयात्रियों के लिए रहा है महत्वपूर्ण (important for pilgrims since ancient times)

लोक कथाओं और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान प्राचीन काल से ही तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए महत्वपूर्ण रहा है. यहाँ की गंधकयुक्त जलधाराओं में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा रोगों, पेट की बीमारियों और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाती हैं. सदियों से लोग इन जलधाराओं में स्नान करने आते रहे हैं और इसे शुभ माना जाता है.

यहां पर स्थित है प्राचीन शिव मंदिर (An ancient Shiva temple is situated here)

सहस्रधारा के पास भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जो झरने के ऊपर एक चट्टान पर बना है. मंदिर में एक जलमग्न शिवलिंग है, जो स्थानीय लोगों के अनुसार आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि ये जलधाराएँ भगवान शिव से जुड़ी हैं और इनमें स्नान करने से पापों का नाश होता है. सहस्रधारा का प्राकृतिक इतिहास चूना पत्थर की अवसादी परतों से जुड़ा है. यह जल गंधक से भरपूर है. इसी कारण, पानी का रंग भूरा-नारंगी है और यह क्षेत्र गुफाओं से भरा हुआ है.

क्या सहस्रधारा नदी है? (Sahasradhara is not a river)

अगर किसी को लगता है कि सहस्त्रधारा नहीं है तो आप गलतफहमी में हैं. आपको बता दें कि सहस्रधारा कोई नदी नहीं है. यह देहरादून में बाल्डी नदी के तट पर स्थित है. यह एक झरना और सल्फर युक्त गर्म जलधाराओं का एक समूह है. यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, औषधीय जल और पास में स्थित एक शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. बाल्डी नदी इस क्षेत्र का मुख्य जल स्रोत है, लेकिन सहस्रधारा स्वयं एक नदी नहीं, बल्कि एक झरना और गुफा क्षेत्र है.

क्या इसका पानी पीने योग्य है? (water of Sahastradhara is poisonous)

सहस्रधारा देहरादून की बाल्डी नदी के किनारे स्थित है और चूना पत्थर की गुफाओं से टपकते पानी से बना है. इसके पानी में गंधक (सल्फर) की मात्रा अधिक होती है. इस पानी को औषधीय गुणों वाला माना जाता है, खासकर त्वचा रोगों के इलाज के लिए. सहस्रधारा का पानी सल्फर युक्त झरने से आता है, जो पीने योग्य नहीं है. डॉक्टर भी इसके पानी को त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए ठीक मानते हैं लेकिन पीने की सलाह नहीं देते.

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