Congress attack on ECI: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार में वोट चोरी के विपक्ष के आरोपों और SIR को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब दिया है। अब चुनाव आयोग के जवाब पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे आज मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि कोई भाजपा नेता बोल रहा हो।
पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “महादेवपुरा में हमने जो एक लाख मतदाताओं की पोल खोली, क्या ज्ञानेश कुमार ने उस पर कोई प्रतिक्रिया दी? उन्होंने नहीं दी। उनका कहना है कि 45 दिन बाद सीसीटीवी फुटेज देने से निजता का हनन होता है, तो निजता का हनन 45 दिन में नहीं, बल्कि 46 दिन में होता है।” खेड़ा ने कहा कि जब आपको सीसीटीवी फुटेज किसी के साथ साझा नहीं करनी है, तो फिर आप सीसीटीवी फुटेज बनाते ही क्यों हैं? इसका कोई जवाब नहीं है।
‘चुनाव आयोग सवालों के जवाब नहीं दे पा रहा’
इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति सवालों के जवाब नहीं दे पा रहा है और वह अप्रासंगिक बातें भी करने लगे, तो समझा जा सकता है कि कितना कुछ छिपाया जा रहा है। पवन खेड़ा ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि आज मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार हमारे सवालों का जवाब देंगे। हमें सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं दिए जा रहे हैं, हमें 6 लोकसभा क्षेत्रों की डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही है, जो भाजपा नेता अनुराग ठाकुर को मिली थी?
‘ऐसा लगा जैसे कोई भाजपा नेता बोल रहा हो’
पवन खेड़ा ने कहा कि आज मुख्य चुनाव आयुक्त कह रहे हैं कि डिजिटल वोटर लिस्ट देने से भी निजता का हनन होता है, लोगों की निजता का हनन होता है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि अनुराग ठाकुर को लिस्ट कैसे मिली। खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस कमाल की थी। अगर आप आँखें बंद करके सुनें, तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई भाजपा नेता बोल रहा हो। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए और विपक्ष के सवालों का जवाब देना चाहिए।
जयराम रमेश का चुनाव आयोग पर हमला
इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘आज भारत निर्वाचन आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह पहली बार था जब यह ‘नया’ चुनाव आयोग सीधे तौर पर बोल रहा था, न कि सूत्रों के ज़रिए। उन्होंने कहा कि कल चुनाव आयोग ने एक ‘प्रेस नोट’ जारी किया था, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में सुधार की ज़िम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तियों पर डालना था। इस प्रेस नोट की विपक्षी दलों और आम जनता ने भी तीखी आलोचना की थी।’
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बिहार एसआईआर के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नामों के प्रकाशन को रोकने के लिए चुनाव आयोग द्वारा दायर हर याचिका को खारिज करने के तीन दिन बाद हुई है। चुनाव आयोग की कड़ी और प्रलेखित आपत्तियों के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने इन 65 लाख मतदाताओं का पूरा विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया। इसने मतदाता पहचान पत्र के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड के उपयोग की भी अनुमति दी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी निर्देशों का विरोध किया था।”
‘राहुल गांधी के एक भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया’
इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आज, राहुल गांधी द्वारा सासाराम से भारत जनबंधन की मतदाता अधिकार यात्रा शुरू करने के कुछ ही देर बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके दोनों चुनाव आयुक्तों ने यह कहना शुरू कर दिया कि वे सत्ता पक्ष और विपक्ष में कोई अंतर नहीं करते। इसे हास्यास्पद ही कहा जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए किसी भी तीखे सवाल का कोई सार्थक जवाब नहीं दिया।’
‘चुनाव आयोग का पक्षपात उजागर’
उन्होंने कहा, ‘जहाँ तक मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा राहुल गांधी को दी गई धमकियों का सवाल है, तो इतना कहना ही काफी है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने केवल वही तथ्य बताए जो चुनाव आयोग के अपने आंकड़ों से सामने आए। चुनाव आयोग न केवल अपनी अक्षमता, बल्कि अपने घोर पक्षपात के लिए भी पूरी तरह से बेनकाब हो गया है।’