Bihar SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है. इसको लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम ने यह साफ़ साफ़ कहा है कि निर्वाचन आयोग का दस्तावेज जांच अभियान ‘मतदाता विरोधी’ नहीं है।
मतदाता सूची से बाहर करने की कोशिश वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. आपको बता दें की यह सुनवाई आज बुधवार १३ अगस्त को हुई है. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच के सामने हुई. इसके बाद कोर्ट ने इसे मतदाता-अनुकूल रुख को रेखांकित किया है।
कोर्ट में याचिका पर बहस करते हुए दस्तावेज जांच को वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने एंटी वोटर और अलगावादी बता दिया, लेकिन जस्टिस बागची ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा, “हम आपका आधार से जोड़कर अलगाव का तर्क समझते हैं। मगर बात दस्तावेजों की संख्या की है, जो असल में मतदाताओं के हक में है, उनके खिलाफ नहीं। जरा देखें, कितने सारे दस्तावेजों से आप नागरिकता साबित कर सकते हैं।”
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जस्टिस सूर्य कांत ने जस्टिस बागची की बातों का समर्थन करते हुए कहा, “आप कह रहे हैं कि अगर वे 11 दस्तावेजों की मांग करते हैं तो यह मतदाता विरोधी है। लेकिन अगर सिर्फ एक दस्तावेज मांगा जाए, तो…”
वहीँ कोर्ट ने इसपर साफ किया कि निर्वाचन आयोग का यह कदम मतदाताओं को सुविधा देने वाला है, न कि उन्हें परेशान करने वाला है।
देशभर में SIR को लेकर तनातनी जारी है. इस बीच अब यह बिलकुल साफ़ है कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को मतदाता-अनुकूल और समावेशी माना है, बशर्ते निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया जाए और किसी भी प्रकार की त्रुटियों को समय रहते सुधारा जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस प्रक्रिया में कोई भी असंवैधानिक या अनुचित कदम उठाया जाता है, तो वह हस्तक्षेप करने से पीछे नहीं हटेगी।

