शैलेंद्र की रिपोर्ट, Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोजगार देने को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने लिखा है कि सात निश्चय–2 के तरह पिछले पांच साल में 50 लाख लोगों को रोजगार दिया गया है। इनमें दस लाख लोगों को मिली सरकारी नौकरी भी शामिल है। सीएम ने इसके साथ ये भी दोहराया है कि अगले पांच साल में एक करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा। बिहार में चुनावी सरगर्मी है। कुछ दिनों बाद ही चुनाव की घोषणा होनेवाली है, लेकिन इस बीच वोटरों को लुभाने का दौर जारी है। सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट की, जिस पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इस पोस्ट में सीएम ने दावा किया है कि राज्य में पिछले पांच साल में 50 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। जिन लोगों को रोजगार मिला है, उनमें सरकारी नौकरी भी शामिल है।
पुलिस और शिक्षकों की बहाली
राज्य से बड़े पैमाने पर पुलिस और शिक्षकों की बहाली हुई है। अभी भी शिक्षकों की नियुक्ति का चौथा चरण चल रहा है, जिसमें 1.20 लाख शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। राज्य में सरकारी नौकरियां देने का श्रेय सत्ता और विपक्ष दोनों की ओर से लिया जा रहा है। इसकी वजह ये है कि सीएम नीतीश ने 2020 के चुनाव के बाद बीजेपी से संबंध तोड़ लिया था और 17 महीने तक आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चलाई थी। इसके बाद फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था। पहले डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव, जो अब नेता प्रतिपक्ष हैं। वो अपने शासनकाल में दी गई नौकरियों को अपनी उपलब्धि बताते हैं, उनका कहना है कि सीएम नीतीश कुमार पहले से नौकरियों को लेकर सवाल उठाते रहे। कहते थे कि इतनी नियुक्ति होगी, तो वेतन का पैसा कहां से आएगा, लेकिन हमने सरकार बनने के बाद नियुक्तियों के लिए रास्ता खोला और एक साथ लाखों की संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई, जिसके लिए नियुक्ति पत्र का समारोह शुरू हुआ, वो सिलसिला जो शुरू हुआ, अब तक चल रहा है।
तेजस्वी ने 2020 के चुनाव में किए वादे
तेजस्वी यादव ने 2020 के चुनाव में दस लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था, जिसके बाद सरकार यानि सत्ता पक्ष सक्रिय हुआ था और बीजेपी की ओर से राज्य में 19 लाख रोजगार देने की घोषणा की गई थी। जेडीयू की ओर से नए रोजगार के अवसर पैदा करने की बात कही गई थी। 2020 में सत्ता में वापसी के बाद से राज्य में नीतीश कुमार की सरकार की ओर से नियुक्तियों का दौर शुरू किया गया। 2023 में 2.58 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इसके बाद 2024 में 3.68 नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई। शिक्षक नियुक्तियों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों के ज्यादा सेलेक्ट होने पर डोमिसाइल का सवाल उठा। स्थानीय अभ्यर्थियों के साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए, तो सरकार ने हाल में ही शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल नीति लागू करने का फैसला लिया है। शिक्षकों के साथ अन्य विभागों में भी नियुक्ति का दौर चल रहा है। सिपाही और दारोगा की राज्य से बड़े पैमाने पर नियुक्ति हो रही है।
सीएम नीतीश के दावे
सीएम नीतीश के दावों के मुताबिक सरकार ने पिछले पांच साल में लक्ष्य से अधिक नियुक्तियां कर ली हैं। साथ ही रोजगार देने के अपने वादे को भी पूरा किया है। 2025 का चुनाव भी सरकारी नौकरी और रोजगार के मुद्दे पर होगा, इसकी तैयारी राजनीतिक दलों की ओर से की गई है। राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ रोजगार देने की बात हो रही है, तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी सरकारी नौकरी और रोजगार को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं। वहीं, जनसुराज के नेता प्रशांत किशोर एक साल में पलायन रोकने के दावे के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। प्रशांत किशोर शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का दावा कर रहे हैं। नेताओं के दावों के बीच राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं।अब प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को ऊंचा शुल्क देने से मुक्ति मिली है, क्योंकि सरकार ने राज्य में नियुक्तियों के लिए शुल्क की सीमा एक सौ रुपए तय कर दी है। वहीं, मुख्य परीक्षा से शुल्क खत्म कर दिया गया है। इसके साथ राज्य से उद्योग लाने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले अधिकारियों की एक कमेटी बनाने का फैसला लिया था। अब सरकार की ओर से राज्य के सभी जिलों में उद्योग के लिए जमीन मुहैया कराने का फैसला लिया गया है। इस जमीन पर उद्योग लगानेवाले अगर स्थानीय लोगों को रोजगार देंगे, तो उनको जमीन के लिए कीमत नहीं देनी पड़ेगी। उद्योग के लिए जीएसटी के छूट की सीमा को अब दोगुना करने का फैसला लिया गया है। इसकी घोषणा सीएम नीतीश कुमार ने की है। अगर उद्योग के लिए आबंटित जमीन पर किसी तरह का कोई विवाद है, तो उसका निपटारा भी राज्य सरकार की ओर से किया जाएगा। इस सबके लिए छह महीने की समय सीमा राज्य सरकार ने तय की है।