New GST Slab Rates: हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को केंद्र सरकार की आर्थिक, सामाजिक और विदेश नीति पर कड़े सवाल उठाए। ओवैसी ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में सबसे ज़्यादा नुकसान राज्यों और आम पब्लिक का हो रहा है, जबकि सरकार सभी अहम मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है।
असदुद्दीन ओवैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, “सभी राज्यों को केंद्र से कम धनराशि मिल रही है। आम और मध्यम वर्ग जीएसटी का सबसे ज़्यादा बोझ उठा रहा है। यहाँ तक कि आज कूरियर सेवा पर भी 18 प्रतिशत टैक्स लग रहा है, जिसे कम करने की ज़रूरत है। शारीरिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी टैक्स बढ़ा दिया गया है। राज्यों को सेस का हिस्सा भी नहीं दिया जा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब होती जा रही है।” उन्होंने कहा कि इनपुट सामग्री पर टैक्स तैयार माल से ज़्यादा है, जो उद्योगों और निर्माण क्षेत्र के लिए नुकसानदेह है।
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ओवैसी ने भारत की विदेश नीति पर उठाए सवाल
हैदराबाद से सांसद ने भारत की विदेश नीति को लेकर सरकार की मंशा पर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा, “अगर हम ‘एक भारत नीति’ को मज़बूती से लागू नहीं कर पा रहे हैं, तो फिर ‘एक चीन नीति’ को क्यों कुबूल कर रहे हैं? क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?” उन्होंने यह भी पूछा कि अगर भारत रूस का दोस्त है, तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम घट क्यों नहीं हो रहे हैं?
डोनाल्ड ट्रंप पर ओवैसी ने साधा निशाना
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, “क्या ट्रंप दुनिया के बादशाह हैं जो सिर्फ़ यूक्रेन युद्ध की बात करते हैं? वह गाज़ा में हो रहे नरसंहार पर क्यों नहीं बोलते? भारत को भी सिर्फ़ ज़बानी समर्थन देने के बजाय एक स्पष्ट नीति अपनानी चाहिए। इतिहास में भारत हमेशा सही के साथ खड़ा रहा है।”
उन्होंने कहा, “अगर भारत ने समय रहते ईरान से तेल खरीदना जारी रखा होता और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका होता, तो आज हालात बहुत अलग होते। तब ईरान हमें सस्ते दामों पर तेल दे रहा था और वो भी रुपये में सौदा हो रहा था, जिससे भारत को काफी फायदा हो सकता था।”
ओवैसी ने समानता को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाए
ओवैसी ने यह भी प्रश्न उठाया कि भारत में हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाया जाता है, हालाँकि कश्मीर मुक्ति दिवस क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि यह पाखंड है और इससे सवाल उठता है कि सरकार की नीति समानता पर आधारित है या नहीं। इसके साथ ही उन्होंने मौलवी अलाउद्दीन और तुरेबाज़ खान जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा पर भी नाराजगी जताई और मांग की कि ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए।