दिल्ली ब्लास्ट और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टरों से जुड़े कथित टेरर मॉड्यूल की जांच के बीच, शनिवार (22 नवंबर, 2025) को यूनिवर्सिटी पहुंचे कुछ छात्रों के माता-पिता ने वाइस चांसलर को पत्र सौंपा. दरअसल माता-पिता ने पत्र में अपने बच्चों के शैक्षणिक और पेशेवर भविष्य को लेकर स्पष्टता और सुरक्षा की मांग की है. कुछ पेरेंट्स ने बताया कि यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि कॉलेज किसी भी हालत में बंद नहीं होगा.
आपको बता दें कि करीब 18 माता-पिता ने कैंपस में जाकर पत्र सौंपा और यूनिवर्सिटी के भविष्य को लेकर अपनी चिंता जताई है यूनिवर्सिटी के एक MBBS छात्र के पिता खुशपाल सिंह ने कहा, “हम अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे. उनका टेरर मॉड्यूल से कोई संबंध नहीं है. मैनेजमेंट ने हमें भरोसा दिया कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित है और कॉलेज चालू रहेगा.”
मेरे बच्चों के भविष्य का क्या?
माता-पिता ने यह भी कहा कि कैंपस में छात्रों का माहौल सुरक्षित और सकारात्मक है और वे अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान दे रहे हैं. पेरेंट्स ने VC को जो पत्र दिया उसमें लिखा गया था कि अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में दाखिला लेने वाले छात्रों के माता-पिता हालिया घटनाओं को लेकर गहरी चिंता में हैं. कॉलेज वर्तमान में गंभीर रेगुलेटरी और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा मान्यता रद्द होने का खतरा और एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटीज़ द्वारा सस्पेंशन की संभावना भी है. पत्र में कहा गया कि इन परिस्थितियों में छात्रों के शैक्षणिक और पेशेवर भविष्य को गंभीर खतरा है, इसलिए माता-पिता स्पष्टता चाहते हैं.
डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच 40 लाख रुपये के लिए विवाद
इस बीच, जांच में यह भी सामने आया है कि कथित सुसाइड बॉम्बर्स डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच 40 लाख रुपये के वित्तीय विवाद ने टेरर मॉड्यूल में तनाव पैदा किया। सूत्रों के अनुसार, जमात से मिली फंडिंग के खर्च को लेकर दोनों में टकराव हुआ.
NIA ने पहले ही यूनिवर्सिटी के पास की मस्जिद के मौलवी इश्तियाक को गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने जमात के जरिए कई लाख रुपये जुटाए, जिनका इस्तेमाल डॉ. मुजम्मिल ने ब्लास्ट के लिए सामान खरीदने में किया.
सूत्रों के अनुसार, टेरर मॉड्यूल में कश्मीरी युवाओं को ब्रेनवॉश कर डॉक्टर बनाया गया. इस ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर में सभी डॉक्टर शामिल हैं, जिनमें कुछ जम्मू के मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. उन्हें दुनिया भर में एक विशेष समुदाय के खिलाफ कथित अत्याचार दिखाने वाले वीडियो बार-बार दिखाए गए.
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