India Air Pollution: देश के कई हिस्सों में प्रदूषित हवा सरकार और लोगों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है. अब इसी कड़ी में सामने आई एक रिपोर्ट ने सभी को हिलाकर रख दिया है. असल में हवा पर रिसर्च करने वाली संस्था स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट ने भारत को लेकर कुछ ऐसे आकड़े जारी किए हैं, जिसने खतरे की घंटी बजा दी है.
असल में रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत और चीन में ही खराब वायु गुणवत्ता के कारण 20 लाख मौतें हुई हैं. इसके अलावा, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों में 2 लाख मौतें हुईं, जबकि इंडोनेशिया, म्यांमार और मिस्र में 1 लाख मौतें दर्ज की गईं.
वायु प्रदूषण अकाल मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण
रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण अब उच्च रक्तचाप (high blood pressure) के बाद दुनिया में अकाल मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण बन गया है. बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) की इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 36% आबादी अत्यधिक प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है. इसका असर न केवल फेफड़ों पर पड़ता है, बल्कि हृदय रोग, डिमेंशिया और मधुमेह (diabetes) जैसी बीमारियों पर भी पड़ता है.
दुनिया भर में 79 लाख लोगों की मौत
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2023 में, दुनिया भर में 79 लाख लोग वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से मरेंगे, यानी हर 8 में से 1 मौत खराब वायु गुणवत्ता के कारण होगी. इनमें से 49 लाख मौतें PM 2.5 प्रदूषण के कारण हुईं, जबकि 28 लाख मौतें घरेलू प्रदूषण के कारण हुईं—ये वे लोग थे जो अपना ज़्यादातर समय घर के अंदर बिताते थे.
अकेले एशिया में 90% मौतें
रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 90% मौतें अकेले एशिया में, खासकर निम्न-मध्यम आय वाले देशों में हुईं. घनी आबादी और उच्च औद्योगिक प्रदूषण वाले भारत और चीन सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए. विशेषज्ञों का अनुमान है कि वायु प्रदूषण 2023 में दुनिया की जीवन प्रत्याशा को 1.16 करोड़ साल कम कर देगा.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण 25% हृदय रोग और 25% डिमेंशिया के मामलों के लिए ज़िम्मेदार है. खराब वायु गुणवत्ता मधुमेह और फेफड़ों की बीमारियों का भी एक प्रमुख कारक बन गई है. सबसे प्रदूषित देशों की सूची में भारत, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ब्राज़ील और कई अफ्रीकी देश शामिल हैं. जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और वनों की कटाई ने इस संकट को और बढ़ा दिया है, जिससे वायु प्रदूषण सबसे गंभीर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है.