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Amit Shah से मिले K Palaniswami, मुथुरामलिंगा थेवर को ‘भारतरत्न’ देने की मांग.

पसुम्पोन अय्या यू मुथुरामलिंगा थेवर है जो तमिलनाडु के एक प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. AIADMK के नेता K Palaniswami ने गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया की मुथुरामलिंगा थेवर को 'भारतरत्न' दिया जाए.

By: Swarnim Suprakash | Published: September 17, 2025 11:11:07 PM IST



नई दिल्ली, AIADMK के नेता  K Palaniswami ने आपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट कर जानकारी दी की कल यानी 16 सितम्बर, 2025 दिन मंगलवार को  उनकी मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से हुई. इस मीटिंग में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात समाज सुधारक पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर (Pasumpon Muthuramalinga Thevar) को भारतरत्न दिए जाने की मांग की. 

X अकाउंट पर पोस्ट कर

AIADMK के नेता  K Palaniswami ने आपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखा, ‘मैंने AIADMK की ओर से एक पत्र सौंपा, जिसमें पुरज़ोर आग्रह किया गया है कि भारतीय राष्ट्र का सर्वोच्च पुरस्कार, भारत रत्न, राष्ट्रीय मुक्ति के लिए संघर्ष करने वाले दिव्य पुत्र पसुम्पोन अय्या यू. मुथुरामलिंगा थेवर को प्रदान किया जाए.’

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पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर का परिचय 

थेवर  का पूरा नाम पसुम्पोन अय्या यू मुथुरामलिंगा थेवर है जो तमिलनाडु के एक प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. थेवर का जन्म 30 अक्टूबर, 1908 को तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के पसुम्पोन नमक स्थान पर हुआ था. उनके जन्म और मृत्यु की तिथि में एक विशेष बात यह है की उनकी जन्मतिथि और पुण्यतिथि 30 अक्टूबर ही है. आपको बता दें कि  उनका निधन 30 अक्टूबर, 1963 को हुआ था. वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मित्र होने के साथ-साथ अहम सहयोगी और नेताजी द्वारा स्थापित अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) के प्रमुख सदस्य भी थे. वह 1952 से AIFB के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत हुए. 

सामाजिक सजगता का प्रमाण 

तमिलनाडु के लोग उन्हें बड़े सामाजिक सुधारक के रूप में मानते है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 1920 में अंग्रेजों द्वारा तमिलनाडु के मुकुलाथोर समुदाय के विरुद्ध आपराधिक जनजाति अधिनियम (CTA) लागू किया गया था जिसके विरुद्ध थेवर ने आवाज उठाई और लोगों को एक जुट कर विरोध प्रदर्शन किया था. उनके निरंतर संगर्ष और प्रयासों के बाद आज़ादी से एक वर्ष पूर्व वर्ष 1946 में इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया.
उन्होंने वर्ष 1939 में मंदिर प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक सुधारों का पुरजोर समर्थन किया था, जिससे दलितों, शोषितों और वंचितों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश  अधिकार मिला. आज भी वहां के लोग थेवर को देवता की तरह पूजते हैं.

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