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99% चीनी वाला ‘आयुर्वेद’? Patanjali का ये गुलाब शरबत बिगाड़ रहा सेहत, अभी जान लें सच्चाई..!

Patanjali High Sugar : मार्केट में वैसे तो आज के समय में हर समान में मिलावट सुनने को मिलती है, लेकिन लोगों को पतंजलि पर काफी विश्वास है, लेकिन इन दिनों पतंजलि को लेकर भी काफी कुछ सुनने में आ रहा है. ऐसी खबरे हैं कि पतंजलि में मिलावट है...आइए जानते हैं क्या है सच्चाई-

Published by sanskritij jaipuria

Patanjali High Sugar: आजकल हर कोई हेल्दी रहने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बाजार में मिलने वाले कई प्रोडक्ट्स ऐसे हैं जो हेल्दी के नाम पर कुछ और ही परोस रहे हैं. खासकर जब बात आयुर्वेदिक और घरेलू ब्रांड्स की हो, तो भरोसा और भी बढ़ जाता है. लेकिन क्या वाकई में ये भरोसा सही है?

पतंजलि जैसे आयुर्वेदिक ब्रांड के प्रोडक्ट से लोगों को उम्मीद होती है कि वो हेल्दी होगा. लेकिन हैरानी की बात ये है कि पतंजलि के गुलाब शरबत की बोतल पर शुगर की मात्रा कहीं लिखी नहीं होती, जबकि उनकी वेबसाइट पर बताया गया है कि उसमें 99% शुगर है. अब सोचिए, अगर आप रोजाना दो बार इस शरबत का सेवन कर रहे हैं, जैसा कि ब्रांड खुद रिकमेंड करता है, तो आप शरीर में कितनी ज्यादा चीनी ले रहे हैं?

आयुर्वेद के नाम पर केमिकल?

पतंजलि अपने प्रोडक्ट को ‘आयुर्वेदिक प्रोपाइटरी मेडिसिन’ के तहत बेचती है. लेकिन इसमें सोडियम बेंजोएट जैसा प्रिजरवेटिव मिलाया जाता है, जो एक सिंथेटिक केमिकल है और आयुर्वेद के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता. बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी भी नहीं होती.

क्या सिर्फ पतंजलि ही नहीं, रूआफ्जा भी उतना ही मीठा?

अब अगर हम पतंजलि के कंपटीटर रूआफ्जा की बात करें, तो वहां भी हाल कुछ अलग नहीं है. रूआफ्जा में 87% तक शुगर पाई जाती है. इतना ही नहीं, इसमें कई प्रिजरवेटिव्स और आर्टिफिशल कलर्स भी मिलाए जाते हैं.

सबसे चिंता की बात ये है कि रूआफ्जा में जो लाल रंग इस्तेमाल होता है, वो नॉर्वे और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में बैन है. यूरोप के कुछ हिस्सों में इस रंग को लेकर चेतावनी देनी पड़ती है कि “This may cause attention issues in children” यानी ये बच्चों में ध्यान संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.

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स्वाद के लिए ठीक, लेकिन सेहत के लिए नहीं

कोई भी इन ड्रिंक्स को टेस्ट के लिए कभी-कभार ले सकता है. लेकिन अगर आप इन्हें हेल्दी समझकर रोजाना पी रहे हैं, तो ये आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ज्यादा शुगर से डायबिटीज, मोटापा और हार्ट प्रॉब्लम जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

सभी ब्रांड्स पर एक जैसा सवाल जरूरी है

कुछ लोग कहते हैं कि केवल विदेशी कंपनियों को ही क्रिटिसाइज किया जाता है, जबकि देशी ब्रांड्स को छोड़ा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. जो भी ब्रांड लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करता है, उसे सवालों के घेरे में लाना ज़ृरूरी है – चाहे वो विदेशी हो या देसी.
 

sanskritij jaipuria

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