Female mortality rate: जब हम किसी पुरुष और महिला को साथ देखते हैं, तो आमतौर पर यही लगता है कि पुरुष ज़्यादा मज़बूत होते हैं। वे लंबे होते हैं, उनकी मांसपेशियाँ ज़्यादा होती हैं, दौड़ने में फुर्तीले होते हैं और वज़न उठाने में भी बेहतर होते हैं। लेकिन जब बात स्वास्थ्य और लंबी उम्र की आती है, तो सब कुछ बदल जाता है। दुनिया भर के आँकड़े बताते हैं कि महिलाएँ औसतन पुरुषों से ज़्यादा जीती हैं।
भारत, अमेरिका हो या कोई अन्य देश, हर जगह औरतें लंबे वक्त तक स्वस्थ रहती हैं और उनकी मृत्यु दर भी पुरुषों के मुक़ाबले कम होती है। अब प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों है? महिलाओं के शरीर, मन या आदतों में ऐसा क्या है जो उन्हें पुरुषों से अधिक मज़बूत बनाता है? तो आइए जानते हैं कि महिलाएँ पुरुषों से ज़्यादा क्यों जीवित रहती हैं।
1. महिलाएं जन्म लेते ही होती हैं स्वस्थ- जन्म के समय लड़कियों की शारीरिक संरचना थोड़ी मजबूत होती है। शोध बताते हैं कि नवजात लड़कियों की मृत्यु दर नवजात लड़कों की तुलना में कम होती है। यानी जब एक लड़का और एक लड़की पैदा होते हैं, तो लड़की के बचने की संभावना लड़के की तुलना में ज्यादा होती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण क्रोमोसोम हैं। महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोसोम होता है। Y क्रोमोसोम, X क्रोमोसोम से छोटा होता है और इसमें रोग प्रतिरोधक जीन कम होते हैं। दोहरा X क्रोमोसोम महिलाओं को बीमारियों से लड़ने के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
2. हार्मोन का प्रभाव – पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन होता है। यह हार्मोन आवाज़ को भारी बनाता है, शरीर में बाल बढ़ाता है और मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है। लेकिन यह हार्मोन समय के साथ शरीर, खासकर हृदय को नुकसान भी पहुँचाता है। वहीं दूसरी ओर, महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन होता है, जो न केवल शरीर को संतुलित रखता है बल्कि हृदय की भी रक्षा करता है। यही बड़ी वजह है कि महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारियाँ बहुत कम होती हैं।
3. सामाजिक अंतर- पुरुषों की जीवनशैली आमतौर पर महिलाओं की तुलना में ज़्यादा जोखिम भरी होती है। पुरुष धूम्रपान, शराब और तंबाकू का अधिक सेवन करते हैं। पुरुषों में आत्महत्या और दुर्घटनाओं से मरने की संभावना भी अधिक होती है। इसके अलावा, महिलाएं अक्सर सामाजिक रूप से ज़्यादा जुड़ी होती हैं। वे घर के कामों में सक्रिय रहती हैं और अपने खान-पान और स्वास्थ्य के प्रति ज़्यादा सतर्क रहती हैं।
4. मेटाबोलिज्म और हार्ट का अंतर- महिलाओं के शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) की मात्रा ज़्यादा होती है जो हृदय की रक्षा करता है। महिलाओं में एचडीएल का औसत स्तर 60.3 मिलीग्राम/डेसीलीटर होता है, वहीँ मर्दों में यह केवल 48.5 मिलीग्राम/डेसीलीटर होता है। इसका सीधा असर यह होता है कि औरतों को हृदय रोग कम होते हैं। उनका मेटाबॉलिज़्म अच्छा होता है, यानि उनका शरीर भोजन को अच्छे तरीके से पचा पाता है। मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों का ख़तरा भी बहुत कम होता है।
5. कैंसर और अन्य बीमारियाँ – महिलाओं को स्तन कैंसर, गर्भाशय और अंडाशय से संबंधित कैंसर होते हैं, लेकिन पुरुषों को प्रोस्टेट, फेफड़े और यकृत के कैंसर ज़्यादा होते हैं और ये ज़्यादा घातक भी साबित होते हैं। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और गुर्दे की बीमारी जैसी बीमारियाँ पुरुषों में ज़्यादा होती हैं। यही वजह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में लंबे वक्त तक जिंदा रहती हैं।
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