Who are Ahmadiyya community: पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ जारी नफ़रत के बीच, चेनाब नगर स्थित बैतुल मेहदी दरगाह के बाहर एक बंदूकधारी ने गोलीबारी की. इस घटना में सुरक्षा गार्डों समेत अन्य छह लोग घायल हो गए. हालाँकि, पास में तैनात दो पुलिसकर्मियों द्वारा की गई जवाबी गोलीबारी में हमलावर मारा गया. इस घटना में घायल हुए सभी लोग अहमदिया मुस्लिम समुदाय से बताए जा रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तान में चरमपंथियों द्वारा लगातार निशाना बनाया जाता रहा है. सरकार भी उन्हें समर्थन देने से इनकार करती है. ऐसे में आइये जानते हैं कि कितने प्रकार के मुसलमान होते हैं और अहमदिया मुसलमान कौन हैं?
वास्तव में, इस्लाम के सभी अनुयायी खुद को मुसलमान कहते हैं, लेकिन इस्लामी कानून और इस्लामी इतिहास की अपनी समझ के आधार पर वे कई अलग-अलग संप्रदायों में विभाजित हैं. आम तौर पर, मुसलमान दो समूहों में विभाजित हैं: सुन्नी और शिया। ये सुन्नी और शिया समूह आगे कई संप्रदायों में विभाजित हैं. सुन्नी और शिया दोनों मानते हैं कि अल्लाह एक है, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं, और कुरान अल्लाह द्वारा अवतरित एक किताब है. हालाँकि, पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकार को लेकर इन दोनों समूहों में मतभेद हैं. इसके अलावा, सुन्नी और शिया दोनों के कानून अलग-अलग हैं.
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पाँच समूहों में विभाजित
इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर सुन्नी मुख्यतः चार समूहों में विभाजित हैं. एक पाँचवाँ समूह भी है जो खुद को इन चारों से अलग मानता है. हालाँकि इन पाँचों समूहों की मान्यताओं में कोई खास अंतर नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि उनके इमामों ने इस्लाम की सही व्याख्या की है. उनके चार विशिष्ट इमाम इमाम अबू हनीफ़ा, इमाम शफी, इमाम हंबल और इमाम मलिक थे. इमाम अबू हनीफ़ा का अनुसरण करने वालों को हनफ़ी कहा जाता है। हालाँकि, हनफ़ी मुसलमान दो समूहों में विभाजित हैं: देवबंदी और बरेलवी.
अहमदी मुसलमान कौन हैं?
वे हनफ़ी इस्लामी कानून का पालन करते हैं. मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने भारत के पंजाब के कादियान में इस समुदाय की स्थापना की थी. इसलिए, उनके नाम पर उन्हें अहमदी कहा जाता है. इस संप्रदाय के सदस्यों का मानना है कि मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद पैगंबर के अवतार थे. जहाँ लगभग सभी मुस्लिम समूहों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद अल्लाह द्वारा दुनिया में भेजे गए दूतों की परंपरा समाप्त हो गई, वहीं अहमदिया समुदाय का मानना है कि मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद एक धार्मिक सुधारक थे जो पैगंबर के दर्जे के योग्य थे. इस मतभेद के कारण मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग अहमदिया मुसलमानों को मुसलमान मानने से इनकार करता है.
पाकिस्तान में, अहमदिया मुसलमानों को आधिकारिक तौर पर इस्लाम से खारिज कर दिया गया है. हालाँकि, भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में भी अहमदिया मुसलमानों की अच्छी-खासी संख्या है.
शिया मुसलमान
शिया मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के बाद खलीफा नहीं, बल्कि इमाम की नियुक्ति का समर्थन करते हैं। उनका मानना है कि पैगंबर के असली उत्तराधिकारी उनके दामाद हज़रत अली थे. पैगंबर ने स्वयं अली को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन हज़रत अबू बक्र को धोखे से मुसलमानों का नेता चुन लिया गया. शिया मुसलमान न केवल मुहम्मद के बाद के पहले तीन खलीफाओं को अपना नेता नहीं मानते, बल्कि उनको गासिब यानी गड़पने वाला कहते हैं.
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