Hungry people in India: आज भी जब दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है, उस दौरान भी लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में स्थिति विशेष रूप से विकट है. जहां मॉल, होटल और रेस्टोरेंट में रोज़ाना भोजन बर्बाद होता है, वहीं लगभग 19 करोड़ भारतीय रोजाना भूखे पेट सोते हैं. यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज़्यादा है. भारत में हर साल लगभग 40 प्रतिशत भोजन बर्बाद हो जाता है, जिसका आर्थिक मूल्य लगभग 92,000 करोड़ है.
भूख और कुपोषण की गंभीरता का प्रमाण वैश्विक भूख सूचकांक 2021 से भी मिलता है. भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर है, जो इसे सबसे गंभीर भूख-ग्रस्त देशों में से एक बनाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में दुनिया में सबसे ज़्यादा भूखे लोग हैं, जो चीन से भी आगे है, जबकि दोनों देशों की आबादी लगभग बराबर है.
सालाना 93 करोड़ टन भोजन बर्बाद
भूख की समस्या के कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण भोजन की बर्बादी है. कोविड-19 महामारी से पहले भी, दुनिया भर में सालाना लगभग 93 करोड़ टन भोजन बर्बाद होता था. इसमें से 63 प्रतिशत घरों से, 23 प्रतिशत रेस्टोरेंट से और 13 प्रतिशत खुदरा दुकानों से आता है.
सरकारी योजनाएं लागू, लेकिन क्या उससे सुलझ रहे हालात?
भारत में भूख कम करने के लिए कई सरकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत, लाखों लोगों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है. इसके अतिरिक्त, मध्याह्न भोजन योजना, आंगनवाड़ी कार्यक्रम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) जैसी योजनाएं भी लोगों को पोषण और भोजन उपलब्ध कराने का प्रयास करती हैं.