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भारत में पहली बार, दिल्ली AIIMS में 2.5 किलोग्राम के नवजात शिशु की सफल लंग्स सर्जरी

भारत में पहली बार दिल्ली AIIMS में सबसे कम उम्र यानी मात्र 50 दिन और 2.5 किलोग्राम वजन वाले नवजात शिशु की सफल लंग्स सर्जरी की.

By: Swarnim Suprakash | Published: September 18, 2025 7:15:39 PM IST



नई दिल्ली  से मनोहर केसरी की रिपोर्ट 
50 दिन के नवजात शिशु की लंग्स सर्जरी कर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने एक बार फिर इतिहास रच दिया  है. भारत में पहली बार दिल्ली में एम्स में सबसे कम उम्र मात्र 50 दिन और 2.5 किलोग्राम के शिशु सफल लंग्स सर्जरीकी जो उस वक्त वेंटिलेटर पर था. यहां के डॉक्टरों ने एक दूरबीन यानी  थोरैकोस्कोपिक (कीहोल) से फेफड़ों की सर्जरी सफलतापूर्वक की है.

बिहार के रहने वाले इस शिशु को गंभीर अवस्था में रेफर किया गया था जिसे  जन्मजात फुफ्फुसीय वायुमार्ग विकृति (CPAM) की दिक्कत थी जो एक दुर्लभ विकृति जिसमें फेफड़े के एक हिस्से का असामान्य विकास होता है. इस गांठ ने शिशु के स्वस्थ फेफड़े को बुरी तरह से दबा दिया था, जिससे सर्जरी से पहले ही उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ा. 

किया नए तकनीक का इस्तेमाल 

ओपन चेस्ट ऑपरेशन के बजाय, सर्जिकल टीम ने 3-5 मिमी उपकरणों और एक छोटे कैमरे का उपयोग करके न्यूनतम इनवेसिव थोरैकोस्कोपिक दृष्टिकोण का विकल्प चुना. दोनों फेफड़ों को वेंटिलेटर पर रखकर ऑपरेशन करने की अतिरिक्त चुनौती के बावजूद, फेफड़े के रोगग्रस्त हिस्से को केवल एक सेंटीमीटर चौड़े चीरे के माध्यम से हटा दिया गया.

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सर्जरी के दौरान, शिशु के ऑक्सीजन स्तर में खतरनाक गिरावट देखी गई, लेकिन शल्य चिकित्सा और एनेस्थीसिया टीमों के बीच सहज समन्वय ने प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित की. ऑपरेशन का नेतृत्व बाल चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. विशेष जैन ने किया, जबकि एनेस्थीसिया का प्रबंधन डॉ. राकेश कुमार ने किया. 

India News से डॉ. जैन की बातचीत 

India News से बातचीत में डॉ. जैन ने कहा कि केवल 2.5 किलोग्राम वजन वाले इतने नाज़ुक शिशु का ऑपरेशन वास्तव में बाल चिकित्सा न्यूनतम पहुँच सर्जरी की सीमाओं को पार करता है. यह टीम और एम्स की अत्याधुनिक सुविधाओं के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ है. देशभर में 25,000 से 30,000 बच्चों में एक बच्चा इस तरह की बीमारी से पीड़ित होता है. दरअसल, गर्भावस्था के दौरान ही, बच्चे का लंग्स सही आकार नहीं ले पाता 5है और शिष्ट बन जाता है जिसका पता जांच कराने के बाद ही पता चलता है.

सर्जरी के बाद शिशु की हालत में लगातार सुधार

इस मामले में HOD डॉ. संदीप अग्रवाल ने का कहना है कि यह मामला सबसे छोटे और सबसे कमज़ोर रोगियों को भी अत्याधुनिक देखभाल प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.सर्जरी के बाद शिशु की हालत में लगातार सुधार हुआ और अब वह बिना किसी सहारे के साँस ले रहा है.

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