आम तौर पर दाल, चावल, चपाती, सब्जी और अचार वाली एक अच्छी थाली की कीमत रेस्टोरेंट और इलाके के हिसाब से 500 से 2,000 रुपये तक होती है. लेकिन उन लोगों के बारे में सोचिए जो रोज़ाना दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते हैं; उनके लिए अगर यही पौष्टिक खाना इसकी असल कीमत के दसवें हिस्से से भी कम में मिले, तो यह किसी वरदान से कम नहीं है.
दिल्ली सरकार ने आज ‘अटल कैंटीन’ योजना की शुरुआत कर इस कल्पना को हकीकत में बदल दिया है. अब शहर भर के 100 केंद्रों पर मात्र 5 रुपये प्रति प्लेट की दर से पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने किया योजना का शुभारंभ
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 100 अटल कैंटीन का उद्घाटन किया. इस पहल का मुख्य उद्देश्य गरीब तबके, दिहाड़ी मजदूरों और कम आय वाले परिवारों को सम्मान के साथ भरपेट भोजन उपलब्ध कराना है.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा, “अटल कैंटीन दिल्ली की आत्मा बनेगी. यह एक ऐसी जगह होगी जहाँ अब किसी को भी खाली पेट नहीं सोना पड़ेगा.”
कैंटीन का लोकेशन
दिल्ली सरकार ने पहले चरण में आज शहर के 45 प्रमुख इलाकों में ये कैंटीन खोल दी हैं, जिनमें ग्रेटर कैलाश, राजौरी गार्डन, नरेला, आर.के. पुरम, जंगपुरा, बवाना और शालीमार बाग जैसे क्षेत्र शामिल हैं. शेष 55 कैंटीन भी जल्द ही शुरू कर दी जाएंगी.
क्या रहेगा टाइमिंग?
यह सुविधा दिन में दो बार मिलेगी. दोपहर का भोजन सुबह 11:00 से शाम 4:00 बजे तक और रात का भोजन शाम 6:30 से रात 9:30 बजे तक उपलब्ध होगा. प्रत्येक केंद्र पर लगभग 500 लोगों के भोजन की व्यवस्था है.
कैंटीन के मेन्यू में क्या है?
अटल कैंटीन में थाली का मेन्यू फाइनल हो गया है. इसमें दाल, चावल, चपाती, सब्ज़ी और अचार शामिल होगा. यह खाना साफ़-सफ़ाई और क्वालिटी स्टैंडर्ड्स को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. सरकार का दावा है कि खाने की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
पारदर्शिता के लिए डिजिटल टोकन सिस्टम
व्यवस्था को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने पुराने मैनुअल कूपन के बजाय डिजिटल टोकन सिस्टम अपनाया है. पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए सभी केंद्रों पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी रियल-टाइम मॉनिटरिंग ‘दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड’ (DUSIB) के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी.
इस स्कीम से सबसे ज़्यादा फ़ायदा किसे होगा?
दिल्ली सरकार का मानना है कि यह स्कीम मज़दूरों, रिक्शा चलाने वालों, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स और ज़रूरतमंद परिवारों के लिए बहुत मददगार होगी. बढ़ती महंगाई के समय, 5 रुपये में खाना गरीबों के लिए जीवनरेखा जैसा है. सरकार ने साफ किया है कि ज़रूरत पड़ने पर भविष्य में इस स्कीम का दायरा और बढ़ाया जा सकता है.

