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आजकल कहां है साधु यादव? लालू-राबड़ी राज में बोलती थी तूती, जंगलराज लाने में निभाया था बड़ा रोल

Bihar Election 2025: लालू यादव की सबसे बदनामी साधु और सुभाष के कारण ही हुई. आज भी लालू परिवार को इस पर सफाई देनी पड़ती है.

By: Ashish Rai | Published: October 5, 2025 10:41:37 PM IST



sadhu Yadav: बिहार में आगामी कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव होंगे. लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव राजद को सत्ता में वापसी में कराने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं. एक वक्त था जब बिहार में तेजस्वी के माता-पिता राबड़ी देवी और लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. हालाँकि, इनके राज में बिहार में करप्शन, लूट, हत्या, बलात्कार के ऐसे-ऐसे मामले सामने आए. इनके राज को जंगलराज का नाम दिया गया.

कहा जाता है कि बिहार में जंगलराज लाने में राबड़ी देवी के भाई और लालू यादव के साले साधु यादव और सुभाष यादव का बड़ा रोल था. वो साधु यादव ही थे, जिन्होंने लालू राज में ऐसे-ऐसे कांड किए. जिसे सुनकर आज भी डर जाते हैं. ऐसे में आइये जानते हैं आजकल कहाँ हैं साधु यादव?

सिर्फ नाम ही साधु है, कारस्तानी शैतानों वाली

1990 के दशक में बिहार की राजनीति को जिसने भी देखा है, वह लालू यादव के साले के साधु यादव होने के महत्व को समझता है. साधु यादव सिर्फ़ नाम के साधु हैं, उनके कर्म साधु जैसे नहीं हैं. आज भले ही वे अपने भतीजे तेजस्वी और उनकी पत्नी रसेल के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के लिए चर्चा में हों, लेकिन 90 के दशक में साधु यादव की ख़बरें अख़बारों में छाई रहती थीं. लालू-राबड़ी राज में साधु यादव सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे. कोई भी अधिकारी या अपराधी साधु यादव से पंगा लेने की हिम्मत नहीं करता था. व्यापारी अपने व्यापार को बचाना चाहते थे ताकि साधु यादव उनकी नज़र में न आएँ.

अगर जीजा-दीदी मुख्यमंत्री हैं तो डर कैसा?

बिहार में लालू-राबड़ी का राज 1990 से 2005 तक चला. इन 15 सालों में साधु यादव विधायक और सांसद बने. राजनीति में भी उनका जलवा रहा. लेकिन सब कुछ उनके जीजा-दीदी की बदौलत था.आलम यह था कि साधु यादव जहाँ भी जाते, उन्हें कभी फूलों से तोला जाता, कभी सिक्कों से. साधु यादव लालू राज का चेहरा बन गए. बड़े-बड़े दबंग और ताकतवर लोग भी उनके आड़े नहीं आना चाहते थे. साधु यादव के पास कुछ करने की ताकत नहीं थी; लालू यादव ने ही उन्हें अपनी सुविधा के लिए बनाया था। वह अपने साले-साली (साधु और सुभाष) के सहारे अपनी राजनीति चलाते थे. यहाँ तक कि उनका अपने फायदे के लिए इस्तेमाल भी करते थे. हालाँकि, लालू यादव की सबसे बदनामी साधु और सुभाष के कारण ही हुई. आज भी लालू परिवार को इस पर सफाई देनी पड़ती है.

साधु यादव पर लगे गंभीर आरोपों की एक लिस्ट

  • आईएएस अधिकारी गौतम गोस्वामी को बिहार बाढ़ राहत घोटाले में उनकी भूमिका के लिए जेल हुई थी. तनाव के कारण उनकी असामयिक मृत्यु हो गई. इस मामले में साधु यादव का नाम सामने आया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
  • बिहार के कुख्यात शिल्पी जैन हत्याकांड में भी साधु यादव का नाम सामने आया और सीबीआई ने डीएनए परीक्षण का अनुरोध किया. साधु यादव ने इनकार कर दिया.
  • साधु यादव पर दिल्ली स्थित बिहार भवन में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र पर हमला करने का भी आरोप था. इसके बाद दिल्ली में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया.
  • साधु यादव पर बंदूक चलाकर आतंक फैलाने, हत्या का प्रयास, फिरौती न देने पर हमला, दंगा करने और सरकारी काम में बाधा डालने सहित कई आरोप लगाए गए थे.

ऐसे टूटा लालू-परिवार और साधु यादव का रिश्ता

जब तक लालू परिवार के पास सत्ता रही, तब तक साला-बहनोई का रिश्ता ठीक रहा. हालांकि, 2005 में आरजेडी सुप्रीमो सत्ता से बाहर हो गए, उसके बाद साधु यादव से रिश्तों में खटास आने लगी. फिर जब उनके भगीने तेजस्वी ने अलग धर्म की लड़की से प्रेम विवाह किया. तब साधु यादव मीडिया के सामने आए थे. मीडिया के जरिए उन्होंने शादी और लालू परिवार को लेकर काफी बुरा-भला कहा.

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