सीमांचल में ओवैसी का जलवा, RJD से पहले छीन लीं पांच सीटें; फिर NDA की ‘मदद’ कर आठ सीटों पर तेजस्वी को दिया बड़ा झटका

Bihar Election News: इस चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में AIMIM एक स्थायी और प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में उभर चुकी है, जो बड़े दलों के समीकरण बदलने की क्षमता रखती है.

Published by Shubahm Srivastava

Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अप्रत्याशित रूप से मजबूत प्रदर्शन किया और सीमांचल की 5 सीटें दोबारा जीतकर राजनीतिक हलकों में बड़ी चर्चा पैदा कर दी. ओवैसी की पार्टी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और उनमें से अमौर, कोचाधामन, बहादुरगंज, जोकीहाट और बायसी सीटों पर जीत हासिल की. 

यह वही सीटें हैं, जहां 2020 में भी AIMIM ने जीत दर्ज की थी, हालांकि बाद में चार विधायक RJD में चले गए थे. इस बार पार्टी ने न सिर्फ अपने पुराने गढ़ को वापस हासिल किया, बल्कि महागठबंधन को कम से कम 8 सीटों पर सीधा नुकसान पहुंचाया.

AIMIM का प्रदर्शन और उसके मायने

AIMIM की सभी जीती हुई 5 सीटें मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके से हैं. इन क्षेत्रों में पार्टी ने अपनी पकड़ बनाए रखते हुए स्थानीय मुद्दों, विशेषकर विकास, बेरोजगारी, बाढ़ राहत और पिछड़ेपन के सवालों पर चुनाव लड़ा. अमौर से अख्तरुल ईमान ने 1,00,836 वोट लेकर बड़ी जीत हासिल की. बायसी से गुलाम सरवर 92,766 वोटों के साथ विजयी रहे. बहादुरगंज से मोहम्मद तौसीफ आलम और कोचाधामन से मोहम्मद सरवर ने भी बड़ी बढ़त से जीत दर्ज की. जोकीहाट में मोहम्मद मुर्शीद आलम ने RJD के मौजूदा विधायक को हराया.

AIMIM का स्ट्राइक रेट

AIMIM का स्ट्राइक रेट भी बेहद शानदार रहा. 28 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 जीतना और 2 पर दूसरे नंबर पर आना इस बात का संकेत है कि पार्टी का आधार सीमांचल में और मजबूत हुआ है. इसके मुकाबले RJD 143 सीटों पर लड़ी और सिर्फ 25 सीटें जीत सकी. AIMIM कई सीटों पर तीसरे नंबर पर रहते हुए भी इतना बड़ा वोटबैंक जुटाने में सफल रही कि उसने महागठबंधन को जीत से वंचित कर दिया.

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महागठबंधन को AIMIM से सबसे बड़ा नुकसान

AIMIM ने 10 सीटों पर इतने वोट हासिल किए, जो जीत-हार के अंतर से भी ज्यादा थे. इनमें से 8 सीटों पर सीधा नुकसान महागठबंधन को हुआ. प्राणपुर, कसबा, गोपालगंज, महुआ, दरभंगा ग्रामीण, अररिया और ढाका जैसी सीटों पर AIMIM के कारण RJD या कांग्रेस हार गईं. मुस्लिम वोटबैंक, जो RJD का कोर वोटर माना जाता है, AIMIM की ओर शिफ्ट होता दिखा.

RJD का MY समीकरण फेल हुआ

RJD लंबे समय से यादव–मुस्लिम वोटबैंक (MY फैक्टर) पर भरोसा करती आई है, लेकिन इस बार AIMIM ने मुस्लिम वोटों में बड़ी सेंध लगाई. AIMIM के प्रवक्ता जसीम ने भी आरोप लगाया कि RJD मुस्लिम वोटरों की उपेक्षा करती है और सिर्फ यादव नेतृत्व तक सीमित रहती है. उन्होंने कहा कि 2020 में AIMIM के 4 विधायकों को RJD में तोड़कर ले जाना RJD का प्रोपेगेंडा था, जिसे जनता ने इस बार नकार दिया.

AIMIM–RJD गठबंधन क्यों नहीं हुआ?

चुनाव से पहले AIMIM महागठबंधन में शामिल होना चाहती थी. उसने सीमांचल की 6 सीटें मांगी थीं, लेकिन तेजस्वी यादव ने इनकार कर दिया. इससे ओवैसी नाराज हुए और उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि बाद में कोई “मम्मी-मम्मी कहकर चॉकलेट छीनने” की शिकायत न करे. महागठबंधन ने पिछली बार सीमांचल में 7 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उसका पूरी तरह सफाया हो गया.

NDA का दबदबा और AIMIM का प्रभाव

इस चुनाव में NDA ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया और 202 सीटें जीत लीं — BJP को 89 और JDU को 85 सीटें मिलीं. महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया. AIMIM अपने सीमित दायरे के बावजूद चर्चाओं में रही क्योंकि उसने महागठबंधन को निर्णायक नुकसान पहुंचाया. NDA की जीत में, खासकर कई सीटों पर AIMIM एक अप्रत्यक्ष फैक्टर बनकर उभरी.

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