Sigma Gang Encounter: बिहार विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं, ऐसे में बिहार कहीं न कहीं असुरक्षित था. जिसके चलते बिहार और दिल्ली पुलिस के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है. बिहार विधानसभा चुनाव के बीच दिल्ली में हुए एक हाई-वोल्टेज एनकाउंटर से आपराधिक जगत में दहशत फैला दी है. पुलिस ने बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात दिल्ली के रोहिणी इलाके में बिहार के खतरनाक “सिग्मा गैंग” का अंत कर दिया. इस एनकाउंटर में गैंग लीडर रंजन पाठक समेत बिहार के चार मोस्ट वांटेड अपराधी मारे गए. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने बेहद गोपनीय तरीके से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.
सड़कों पर गूंजी गोलियों की तड़तड़ाहट
दरअसल, यह मुठभेड़ 22 और 23 अक्टूबर की रात करीब 2:20 बजे रोहिणी के बहादुर शाह मार्ग और पंसाली चौक के बीच हुई. पुलिस का कहना है कि, अपराधियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अंधाधुंध फायरिंग भी की. जवाबी कार्रवाई में चारों अपराधियों को गोली लगी जिसके बाद उन्हें डॉ. बीएसए अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस ऑपरेशन में कोई भी पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ. यह भी पढ़ें: कौन है नक्सली नेता भूपति? माओवादी विद्रोह का मास्टरमाइंड अब हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आया है.
इन अपराधों में शामिल थी गैंग
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मुठभेड़ में मारे गए चारों अपराधियों की पहचान रंजन पाठक (25), बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25), मनीष पाठक (33) और अमन ठाकुर (21) के रूप में हुई है. इनमें से तीन बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले थे, जबकि अमन ठाकुर दिल्ली के करावल नगर के शेरपुर गाँव का रहने वाला था. चारों पर हत्या, डकैती, रंगदारी और अपहरण जैसे दर्जनों गंभीर मामले दर्ज थे.
कौन था रंजन पाठक
जैसा की आप सभी जानते हैं कि इस मुठभेड़ में रंजन पाठक भी मारा गया. क्या आप जानते हैं ये कौन था? दरअसल ये इस गिरोह का सरगना था. रंजन पाठक बिहार के अंडरवर्ल्ड का जाना-माना चेहरा था. बताया जाता है कि सीतामढ़ी में एक हाई-प्रोफाइल हत्याकांड के बाद, उसने मीडियाकर्मियों को अपना आपराधिक बायोडाटा भी भेजा था. उसका मकसद लोगों में डर और पहचान दोनों पैदा करना था. बिहार पुलिस के मुताबिक, हाल ही में गिरोह का एक ऑडियो कॉल सामने आया था, जिसमें रंजन अपने साथियों के साथ बिहार चुनाव से पहले दहशत फैलाने के तरीकों पर चर्चा कर रहा था. दूसरा आरोपी बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी रंगदारी और हथियारों की तस्करी में शामिल था. उसे रंजन का दाहिना हाथ माना जाता था. तीसरा अपराधी मनीष पाठक कई हत्या और अपहरण के मामलों में वांछित था. दिल्ली में रहने वाला चौथा अपराधी अमन ठाकुर राजधानी से गिरोह को रसद मुहैया कराता था. वह अपराधियों के ठिकानों और हथियारों का इंतजाम करता था.
‘सिग्मा गैंग’ की असलियत
‘सिग्मा एंड कंपनी’ के नाम से कुख्यात यह गिरोह बिहार-नेपाल सीमा तक फैला हुआ था. रंजन पाठक इसका सरगना था, जो सोशल मीडिया के ज़रिए भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा था. गिरोह के सदस्य बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में जबरन वसूली, सुपारी लेकर हत्या और हथियारों की आपूर्ति जैसे अपराधों में शामिल थे. सूत्रों से पता चलता है कि गिरोह को नेपाल के रास्ते धन मिलता था और इसकी जड़ें सीमावर्ती ज़िलों में गहरी थीं. पुलिस के अनुसार, गिरोह पर कई महीनों से नज़र रखी जा रही थी. गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर, दिल्ली में उनके ठिकाने की पहचान की गई. बिहार चुनाव से पहले किसी भी बड़े अपराध को रोकने के लिए चुनावी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस ऑपरेशन की योजना बनाई गई थी. दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस के इस संयुक्त अभियान को अब तक की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इस ऑपरेशन से न केवल ‘सिग्मा गैंग’ का खात्मा हुआ है, बल्कि चुनाव के दौरान राज्य में शांति बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. पुलिस का दावा है कि गिरोह के बाकी सदस्यों की पहचान कर ली गई है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.