West Champaran: एकबार फिर से बिहार से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक बच्चे को बुखार की जगह एंटी-रैबीज इंजेक्शन दे दिया गया है। जी हाँ आपको बता दें कि मामला पश्चिम चम्पारण के बगहा का है जहाँ के अनुमंडलीय अस्पताल में तेज बुखार से पीड़ित एक मासूम बच्चे को एंटी-रैबीज इंजेक्शन लगा दिया गया जिसके बाद परिजनों ने इसकी शिकायत की और अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा भी किया।
मामला उजागर होने के बाद प्रशासन ने इसे “पर्चे में गड़बड़ी” बताया है, लेकिन ऐसा मामला पहली बार सामने नहीं आया है इससे पहले भी पूर्वी चम्पारण के ढाका में डॉक्टर की लापरवाही से महिला की जान चली गयी। जहाँ डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में तौलिया छोड़ दी और पेट को सिल दिया। अब सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी गलतियाँ मरीजों की जान जोखिम में डालती रहेंगी और जान लेती रहेंगी।
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि बगहा अनुमंडलीय अस्पताल पहुँचे पिपरिया निवासी संजय चौधरी अपने पोते सौरभ को लेकर ओपीडी में आए थे। सौरभ को 104 डिग्री तेज बुखार था। ओपीडी में मौजूद डॉ ने पर्चे पर एंटी-रैबीज की तीसरी खुराक लिखकर दवा काउंटर पर भेज दिया। यही नहीं स्वास्थ्यकर्मियों ने बिना किसी जाँच के इंजेक्शन लगा दिया और परिजनों को 1 सितंबर को चौथी खुराक के लिए भी बुला लिया।
इंजेक्शन लगाने के बाद जब परिजनों ने स्वास्थ्यकर्मी से पूछा कि बच्चे को कौन सी दवा दी गई है, तो जवाब मिला – “रेबीज की तीसरी खुराक।” यह सुनकर सौरभ के दादा-दादी दंग रह गए। उन्होंने कहा कि बच्चे को कुत्ते ने कभी काटा ही नहीं, फिर रेबीज का इंजेक्शन क्यों लगाया गया है? इसके बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
प्रशासन की सफाई
इस मामले की शिकायत मिलने पर प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अशोक कुमार तिवारी ने जाँच की। उन्होंने बताया कि ओपीडी में डॉ. अरुण कुमार यादव की ड्यूटी थी, लेकिन वे पोस्टमार्टम के लिए गए थे। ऐसे में उनकी जगह डॉ. रामप्रवेश भारती मरीज देखने लगे।
डॉ. तिवारी ने कहा, “यह गलती इसलिए हुई क्योंकि बच्चे की जगह किसी और मरीज का पर्चा मिल गया था। हालाँकि, एंटी-रेबीज इंजेक्शन से बच्चे को कोई खतरा नहीं है। बाद में उसके बुखार का ठीक से इलाज किया गया।” बच्चे के दादा और दादी ने उच्चाधिकारियों से पूरे मामले की जाँच और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।