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Astrological Stones: पुखराज रत्न किन लोगों के लिए पहनना होता है शुभ, जानें इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव

हिंदू ज्योतिष शास्त्र में पुखराज रत्न को अत्यंत शुभ और प्रभावशाली रत्नों में गिना गया है. इसे बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि माना जाता है, जो ज्ञान, बुद्धि, धन, विवाह और सौभाग्य का कारक है. इसका सुनहरा पीला रंग सूर्य की किरणों की तरह चमकदार और मन को शांति देने वाला होता है. माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार पुखराज धारण करे, तो उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और मानसिक संतुलन का संचार होता है. यह रत्न न केवल भौतिक समृद्धि देता है, बल्कि आत्मिक उन्नति और सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है.

By: Shivi Bajpai | Published: October 22, 2025 7:36:53 AM IST



हिंदू शास्त्रों में रत्नों का विशेष स्थान बताया गया है. कहा जाता है कि ये रत्न ग्रहों की स्थिति को संतुलित कर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं. नौ प्रमुख रत्नों में से एक है पुखराज, जिसे ‘पीला पुखराज’, ‘पुष्पराग’ या ‘गुरु रत्न’ के नाम से भी जाना जाता है. इस रत्न का सुनहरा पीला रंग सर्दियों की धूप की तरह चमकदार और शांतिदायक होता है. इसकी आभा न केवल सुंदरता का प्रतीक है बल्कि यह आत्मिक ऊर्जा और मानसिक शांति प्रदान करने वाला रत्न भी माना जाता है.

पुखराज रत्न के प्रमुख लाभ

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह से संबंधित है. यह रत्न व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य और समृद्धि का संचार करता है.
इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं –

  • पुखराज पहनने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और चिंता व तनाव कम होता है.
  • यह रत्न धन, व्यवसाय और करियर में प्रगति दिलाने में सहायक होता है.
  • स्मरण शक्ति, एकाग्रता और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है.
  • यह वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखने में मदद करता है.
  • मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक विकास में सहयोगी होता है.
  • शारीरिक रूप से यह रत्न गले, त्वचा, यकृत, और रक्त संचार से जुड़ी बीमारियों में लाभकारी माना गया है.
  • कहा जाता है कि यह दुर्घटनाओं और आकस्मिक संकटों से भी रक्षा करता है.

पुखराज के दुष्प्रभाव

पुखराज रत्न अत्यंत शक्तिशाली होता है. यदि इसे गलत समय पर या बिना कुंडली जांच के धारण किया जाए, तो इसके विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं –

  • आर्थिक नुकसान या व्यापार में हानि हो सकती है.
  • पारिवारिक रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ सकती हैं.
  • मानसिक अशांति और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं.
  • इसलिए पुखराज धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्म कुंडली अवश्य दिखाएं और रत्न की शुद्धता सुनिश्चित करें.

किसे पहनना चाहिए?

  • जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो, उन्हें यह रत्न पहनना लाभकारी माना जाता है.
  • धनु, मीन, और कर्क राशि वालों के लिए यह शुभ फलदायी है.
  • सिंह राशि के जातक इसे माणिक के साथ पहन सकते हैं.
  • वृषभ और कन्या राशि वाले पुखराज पहनने से पहले गुरु की स्थिति अवश्य जांचें.

किसे नहीं पहनना चाहिए?

  • मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि के लोगों को यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए विपरीत प्रभाव दे सकता है.
  • साथ ही, पुखराज को नीलम या हीरे के साथ कभी न पहनें.

पुखराज धारण करने की विधि

  • पुखराज को सोने की अंगूठी में जड़वाएं और इसे तर्जनी उंगली (Index finger) में पहनें.
  • इसे पहनने का सबसे शुभ दिन है गुरुवार (बृहस्पतिवार).
  • सूर्योदय के बाद सुबह 10 बजे तक इसे धारण करें.
  • रत्न पहनने से पहले उसे गंगाजल और दूध से शुद्ध करें.
  • फिर ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें और अंत में अंगूठी पहनें.
  • रत्न का एक हिस्सा आपकी त्वचा से स्पर्श में रहना चाहिए.

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कुछ आवश्यक सावधानियाँ

  • रत्न पहनने के बाद मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन न करें.
  • यदि किसी कारणवश रत्न उतारना पड़े तो पुनः धारण करने से पहले इसकी पूजा और शुद्धि अवश्य करें.
  • गुरुवार और बुधवार के दिन सदाचार का पालन करें और सात्त्विक भोजन ग्रहण करें.

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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