Napoleon Soldiers Death Reason: नेपोलियन बोनापार्ट की सेना को 1812 में रूस से लौटते समय इतिहास की सबसे बड़ी तबाही का सामना करना पड़ा था. रूस की कठोर ठंड, भूख, थकावट और रहस्यमय बीमारियों ने उनकी लगभग 3,00,000 सैनिकों वाली सेना को तबाह कर दिया था. दो शताब्दियों बाद, वैज्ञानिकों ने अब इन मौतों के असली कारणों का पता लगा लिया है.
फ्रांस के इंस्टीट्यूट पाश्चर के वैज्ञानिकों ने लिथुआनिया के विल्नियस में दफनाए गए सैनिकों के दांतों के डीएनए का विश्लेषण किया और पाया कि वे पैराटाइफाइड बुखार और रिलैप्सिंग बुखार जैसी घातक बीमारियों से पीड़ित थे.
सैनिकों से मिले DNA ने खोले राज
शोध के अनुसार, इन सैनिकों को एक ही स्थान पर सामूहिक रूप से दफनाया गया था. पिछले अध्ययनों में टाइफस और ट्रेंच फीवर के प्रमाण मिले थे, लेकिन इस नए डीएनए विश्लेषण से दो और बीमारियों का पता चला. वैज्ञानिकों ने बताया कि एक सैनिक में बोरेलिया रिकरंटिस नामक जीवाणु पाया गया, जो जूओं के माध्यम से फैलता है और आवर्तक बुखार का कारण बनता है. चार अन्य सैनिक पैराटाइफाइड बुखार से संक्रमित पाए गए.
दुनिया के 10 सबसे तेज जानवर, पहले नंबर पर मौजूद इस एनिमल की स्पीड के बारे में नहीं दे पाएंगे जवाब
मामूली संक्रमण बना सैनिकों के लिए जानलेवा
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इन बीमारियों का प्रसार सैनिकों के कुपोषण, अस्वच्छता और थकावट के कारण हुआ. लगातार पैदल मार्च और अत्यधिक ठंड में भोजन व स्वच्छ पानी की कमी ने उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर दिया, जिससे मामूली संक्रमण भी घातक हो गए.
शोध दल के अनुसार, सैनिकों की मृत्यु किसी एक बीमारी से नहीं, बल्कि थकान, सर्दी, कुपोषण और संक्रमण के मिले-जुले प्रभावों के कारण हुई. बार-बार होने वाला बुखार अपने आप में घातक नहीं है, लेकिन यह पहले से ही कमज़ोर और थके हुए सैनिकों को और कमज़ोर कर देता है, जिससे उनकी मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.
यह अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. इसने लगभग 200 साल पुराने रहस्य पर नई रोशनी डाली है और खुलासा किया है कि नेपोलियन की सेना न केवल रूसी ठंड से, बल्कि अदृश्य सूक्ष्मजीवों और बीमारियों से भी हार गई थी – जो युद्ध के मैदान की तुलना में कहीं अधिक घातक साबित हुईं.