Arya Valley Pregnancy Tourism: लद्दाख (Ladakh) की बर्फ से ढकी चोटियों और शांत घाटियों के बीच Pregnancy Tourism काफी फेमस है. सुनने में भले ही यह शब्द अजीब लगे, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया (Social Media) पर यह शब्द छाया हुआ है. जिनके मुताबिक, विदेशी महिलाएं, खासकर जर्मनी से “शुद्ध आर्य” (Pure Aryan) वंश के पुरुषों से प्रेग्नेंट होने के इरादे से लद्दाख तक आती हैं. दरअसल इन कहानियों के केंद्र में ब्रोक्पा समुदाय है, जिसे अक्सर भारत के “अंतिम आर्य” कहा जाता है.
लद्दाख में प्रेग्नेंट होने आती हैं विदेशी महिलाएं
भारत-पाकिस्तान सीमा (India-Pakistan Tourism) के पास दाह, हनु और गरकोन जैसे सुदूर गांवों में रहने वाले ब्रोकपा (brokapa) एक छोटा जातीय समूह है जो अपनी लंबी कद-काठी, गोरी त्वचा और गोरी आंखों के साथ-साथ अपनी जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है. अन्य लद्दाखी जनजातियों के विपरीत, वे बौद्ध धर्म को प्राचीन जीववादी परंपराओं के साथ मिश्रित एक समन्वित विश्वास का पालन करते हैं, और अपने विस्तृत पुष्प शिरोभूषण और रंग-बिरंगे परिधानों से आसानी से पहचाने जा सकते हैं. ब्रोकपा लोगों को सिकंदर महान की सेना के उन सैनिकों के वंशज बताया गया है जो दो सदियों से भी पहले इन हिमालयी घाटियों में बस गए थे. हालांकि, आधुनिक आनुवंशिकी इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं करती है. इतिहासकार और मानवविज्ञानी “शुद्ध आर्य वंश” की धारणा को बड़े पैमाने पर खारिज करते हैं और इसे वैज्ञानिक सत्य के बजाय औपनिवेशिक युग की एक कल्पना बताते हैं.
Pregnancy Tourism क्या है?
Pregnancy Tourism शब्द का अर्थ आमतौर पर उन महिलाओं से होता है जो अपने बच्चों को जन्म देने के लिए विदेश यात्रा करती हैं ताकि उनके बच्चे किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर सकें, जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में देखा जाता है. हालांकि, लद्दाख से यह संकेत मिलता है कि कुछ पश्चिमी महिलाएं इस क्षेत्र में केवल इसके प्राकृतिक दृश्यों के लिए नहीं, बल्कि ब्रोक्पा पुरुषों के साथ बच्चे पैदा करने के लिए भी आती हैं. भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में अटकलों पर आधारित रिपोर्टों ने इस विचार को और बल दिया है.
रिपोर्ट में किया गया दावा
डेक्कन हेराल्ड (Deccan Herald) की एक रिपोर्ट में जर्मन महिलाएं कथित तौर पर “शुद्ध वंश” को संरक्षित करने के कारण इन “आर्य गांवों” की ओर आकर्षित हुई थीं. “आर्यन जीन के संरक्षण” के नाम पर यूरोपीय महिलाओं और ब्रोक्पा पुरुषों के बीच संबंधों को दिखाया गया था. अफवाहों के बावजूद, ऐसा कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है जो इस बात की पुष्टि करता हो कि विदेशी महिलाएं ‘आर्य’ बच्चे पैदा करने के लिए लद्दाख आई. विशेषज्ञों का कहना है कि इन गाँवों में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली चीज़ आनुवंशिकता नहीं, बल्कि संस्कृति है.
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