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मतदाता लिस्ट से एक नाम हटाने के लिए खर्च किए गए इतने रुपये, SIT ने किया बड़ा खुलासा

Karnataka SIT: जांचकर्ताओं ने बताया कि आलंद के एक साइबर सेंटर में ये विलोपन किए गए थे जहांऑपरेटरों को प्रति आवेदन ₹80 का भुगतान किया जाता था. SIT के सूत्रों ने कहा कि आरोपियों ने कथित रूप से विलोपन कराने वालों को ₹4.8 लाख का भुगतान किया.

By: Divyanshi Singh | Published: October 24, 2025 9:14:46 AM IST



Karnataka SIT: कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) 2023 विधानसभा चुनावों के दौरान आलंद विधानसभा क्षेत्र में कथित मतदाता विलोपन (voter deletion) घोटाले की जांच कर रही है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो मामले में SIT ने हैरान करने वाले खुलासे किए हैं.SIT को जांच में पता चला है कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए प्रत्येक फर्जी आवेदन के लिए ₹80 का भुगतान किया गया था. जांच में यह भी पाया गया कि चुनाव से पहले असली मतदाताओं के नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग को लगभग 6,018 फर्जी आवेदन जमा किए गए थे.

यह वही मुद्दा है जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी “वोट चोरी” टिप्पणी में उठाया था. राहुल ने आरोप लगाया था कि अलंद निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस समर्थक मतदाताओं के नाम सूची से हटाने के लिए हज़ारों मतदाता पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके फर्जी आवेदन तैयार किए गए थे. अब, SIT की रिपोर्ट ने इस विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है.

डेटा ऑपरेटिंग सेंटर से भेजे जा रहे थे फर्जी आवेदन

SIT जांच दल का नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक (SP) अलसन बाशा कर रहे हैं. टीम ने हाल ही में पूर्व विधायक और भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार के घर पर छापा मारा. जांच के दौरान एसआईटी को पता चला कि ये फर्जी आवेदन कलबुर्गी जिले के एक डेटा ऑपरेटिंग सेंटर से भेजे जा रहे थे.

इस सेंटर का संचालन मोहम्मद अशफाक और मोहम्मद अकबर नामक दो व्यक्ति कर रहे थे. एसआईटी के अनुसार डेटा एंट्री ऑपरेटरों को प्रत्येक विलोपन के लिए ₹80 का भुगतान किया जाता था. यानी 6,018 मतदाताओं के नाम हटाने पर लगभग ₹4.8 लाख खर्च किए गए. जांच के दौरान टीम को एक लैपटॉप भी मिला जिसका इस्तेमाल इन फर्जी आवेदनों को संसाधित करने के लिए किया गया था.

लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन बरामद 

छापेमारी के दौरान एसआईटी ने भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटों हर्षानंद और संतोष, और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट मल्लिकार्जुन महंतगोल के परिसरों की भी तलाशी ली. सात लैपटॉप और कई मोबाइल फ़ोन बरामद किए गए.

जांच में यह भी पता चला कि चुनाव आयोग के पोर्टल पर फर्जी मतदाता विलोपन आवेदन जमा करने के लिए 75 मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया था. इनमें से कई नंबर पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले, स्थानीय निवासियों या पुलिस अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम पर थे.

SIT की जांच किस दिशा में जा रही है?

एसआईटी अब इस बात की जांच कर रही है कि डेटा सेंटर संचालकों ने चुनाव आयोग के पोर्टल तक पहुंच और लॉगिन क्रेडेंशियल कैसे हासिल किए. जांच के अनुसार जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. एसआईटी ने यह भी पाया कि अशफ़ाक को 2023 में पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया था, लेकिन अब वह दुबई भाग गया है.

पूर्व विधायक सुभाष गुट्टेदार ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है. उन्होंने कहा कि उनका या उनके परिवार का इस हेराफेरी से कोई लेना-देना नहीं है. हालाँकि, एसआईटी की जाँच जारी है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं.

राहुल गांधी के आरोपों में दम?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पूरी घटना को 2023 में “वोट चोरी” बताया था. अब एसआईटी की रिपोर्ट ने उनके आरोपों को और पुख्ता कर दिया है. राहुल ने तब कहा था कि भाजपा ने चुनाव से पहले मतदाता सूचियों में हेराफेरी करके लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की थी. एसआईटी की अब तक की रिपोर्ट से पता चलता है कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने का एक सुनियोजित अभियान चलाया गया था. हालांकि, अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इसके लिए असली ज़िम्मेदार कौन था.

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