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Bhai Dooj Katha: भाई दूज के दिन जरूर पढ़ें ये कथा, भाई को मिलेगा दीर्घायु का आशीर्वाद!

Bhai Dooj 2025: आज भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा. भाई दूज का पर्व भाई-बहनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उन्हें घर बुलाकर भोजन कराती हैं. इस त्योहार के दौरान कथा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि भाई दूज की कथा के बारे में हिंदी में.

By: Shivi Bajpai | Published: October 23, 2025 8:52:23 AM IST



Bhai Dooj Ki Kahani in Hindi: भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ता है. यह पावन पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को समर्पित होता है, ठीक वैसे ही जैसे रक्षाबंधन का त्यौहार. इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर उनका तिलक करती हैं, उन्हें भोजन कराती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति प्रेम और सम्मान प्रकट करते हैं. भाई दूज के दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है और इस अवसर पर कथा सुनने या पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि भाई दूज की कथा का श्रवण करने से भाई को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

भाई दूज की कथा (Bhai Dooj Ki Katha)

यमराज और यमुना की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच अत्यंत स्नेह था. यमुना कई बार अपने भाई को भोजन के लिए घर आने का आग्रह करती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त होने के कारण नहीं जा पाते थे. एक दिन यमराज अचानक अपनी बहन के घर पहुंचे. अपने भाई को सामने देखकर यमुना अत्यंत प्रसन्न हुईं. उन्होंने यमराज का आदरपूर्वक स्वागत किया, आरती उतारी और स्वादिष्ट भोजन कराया. भोजन और सेवा से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वर मांगने के लिए कहा. तब यमुना ने प्रार्थना की कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक कर उसे भोजन कराएगी, उसके भाई को यमराज का भय नहीं रहेगा और वह लंबी उम्र प्राप्त करेगा. यमराज ने प्रसन्न होकर “तथास्तु” कहा. तभी से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा आरंभ हुई.

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा:

एक अन्य कथा के अनुसार, राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, तो सुभद्रा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. उन्होंने कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और उनकी दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना की. तब से भाई दूज के दिन तिलक और शुभकामनाओं की यह परंपरा चली आ रही है.

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भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Ka Mahatva)

भाई दूज केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है. यह दिन प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की कुशलता की कामना का संदेश देता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन बहनें यमराज की पूजा करती हैं, जिससे भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. यह पर्व पारिवारिक एकता और आपसी स्नेह को और भी गहरा बनाता है.

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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