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क्या था कफाला सिस्टम? जिससे 1.34 करोड़ से ज्यादा कामगारों को मिली आजादी

Kafala System End: सऊदी अरब ने वर्षों पुराने कफाला सिस्टम को खत्म करके करीब 1.34 करोड़ से ज्यादा विदेशी कामगारों को बड़ी राहत दी है. यह फैसला सऊदी अरब विजन 2030 के तहत लिया गया है.

By: Sohail Rahman | Published: October 20, 2025 8:47:57 PM IST



Kafala System End in Saudi Arabia: सऊदी अरब ने 50 साल पुराने कफाला सिस्टम को पूरी तरह से खत्म करने का आधिकारिक एलान कर दिया है. आपके मन में अब सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह कफाला सिस्टम क्या है? आज हम इस आर्टिकल में इसी का उल्लेख करने वाले हैं. दरअसल, कफाला सिस्टम एक श्रम प्रायोजन ढांचा था जो विदेशी कामगारों के रहने और रोज़गार के अधिकारों को एक ही कंपनी या नियोक्ता से जोड़ता था. जिसे अब पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. जिससे करीब 1.34 करोड़ से ज्यादा विदेशी कामगारों को राहत मिलने वाला है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव की घोषणा जून 2025 में की गई थी, लेकिन अब इसे आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया है. कफाला सिस्टम के खत्म होने से 1.3 करोड़ से ज्यादा विदेशी कामगारों को वो आजादी मिलेगी, जिसके लिए वो वर्षों से तरस रहे थे. इन 1.3 करोड़ से ज्यादा विदेशी कामगारों में लाखों भारतीय भी शामिल हैं.

क्या था कफाला सिस्टम? (What was the Kafala system?)

कफाला सिस्टम को अरबी में ‘स्पांसरशिप’ के तौर पर जाना जाता था. यह एक आधुनिक प्रायोजन प्रणाली थी. जिसका इस्तेमाल 1950 के दशक से खाड़ी देशों में किया जाता रहा है. अगर कफाला सिस्टम की बात करें तो खाड़ी के देशों जैसे सऊदी अरब, कतर, कुवैत और जॉर्डन जैसे देशों में यह आम है. इस व्यवस्था के तहत विदेशी कामगारों की कानूनी स्थिति सीधे उनकी कंपनी (कफील) से जुड़ी होती थी, जिससे कंपनी को कामगारों से ज्यादा अधिकार मिलते थे. कफाला सिस्टम से बंधा एक कामगार कंपनी की अनुमति के बिना न तो नौकरी बदल सकता था, न ही देश छोड़ सकता था और न ही उसे कानूनी सहायता मिल सकती थी. इससे कामगारों का व्यापक शोषण हुआ.

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क्यों शुरू किया गया था यह सिस्टम? (Why was kafala system started?)

यह व्यवस्था विदेशी कामगारों की कानूनी और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी (वीज़ा और निवास स्थिति सहित) सीधे उस कंपनी या व्यक्ति को हस्तांतरित करने के लिए बनाई गई थी जहां वे काम कर रहे थे. आसान भाषा में समझने का प्रयास करें तो कामगार की जिम्मेदारी सीधे कफील के हाथ में होती थी. जिसकी वजह से नौकरशाही पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ता था, क्योंकि कफील खुद ही सारा काम संभालता था. समय के साथ इस व्यवस्था की आलोचना कामगारों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए की जाने लगी. उन्हें अक्सर गुलामी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जाता था.

अब कौन सा सिस्टम होगा लागू? (Contract-based employment model will imposed now)

सऊदी अरब के हालिया श्रम सुधारों ने कफाला सिस्टम को अनुबंध आधारित रोजगार मॉडल (Contract-based employment model) से बदल दिया है. सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) के अनुसार, नई व्यवस्था विदेशी कामगारों को अपने वर्तमान नियोक्ता या कफील की अनुमति के बिना किसी नई कंपनी में शामिल होने की अनुमति देगी. अब कामगार बिना किसी निकास वीजा के देश छोड़ सकेंगे और उन्हें उन कानूनी सुरक्षाओं का लाभ उठाने की अनुमति होगी जो पहले उपलब्ध नहीं थीं. सऊदी अरब विजन 2030 के तहत देश में सुधार कर रहा है और कफाला सिस्टम को समाप्त करना इसी पहल का एक हिस्सा है.

कितने कामगारों को मिलेगा लाभ? (How many workers will get the benefit?)

सऊदी अरब में 1.34 करोड़ से ज्यादा विदेशी कामगार कफाला सिस्टम के तहत काम कर रहे हैं, जो देश की आबादी का 42% है. विदेशी कामगारों का सबसे बड़ा समूह बांग्लादेश और भारत से है. इसके बाद पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और फिलीपींस जैसे देशों के कामगार आते हैं. सऊदी अरब में 40 लाख से ज्यादा विदेशी कामगार घरेलू रोजगार में कार्यरत हैं. निर्माण, घरेलू काम, आतिथ्य और कृषि जैसे क्षेत्र कफ़ाला व्यवस्था के तहत सबसे ज़्यादा रोज़गार वाले क्षेत्रों में से हैं. इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. 

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