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पटाखे नहीं इस वजह से गई 20 मासूमों की जान, जैसलमेर बस हादसे को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

Jaisalmer bus fire :हादसे के बाद बस में कुछ टेक्निकल कमियां सामने आईं. बस में पैसेंजर के लिए इमरजेंसी एग्जिट गेट नहीं था. मेन गेट में आग लगी थी और दरवाज़ा लॉक था, इसलिए पैसेंजर अंदर फंस गए.

By: Divyanshi Singh | Published: October 15, 2025 9:25:33 AM IST



Jaisalmer Bus Accident: राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए दर्दनाक बस हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया है. 20 पैसेंजर जलकर मर गए, जबकि 15 अभी भी हॉस्पिटल में ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. कुछ पैसेंजर बस से निकलने में कामयाब रहे, लेकिन आग इतनी तेज़ी से फैली कि मेन गेट के पास आग की लपटें उठने लगीं, जिससे दरवाज़ा बंद हो गया. करीब 35 पैसेंजर अंदर फंस गए. घायलों का कहना है कि बस में कई टेक्निकल कमियां थीं. अगर बस सेफ्टी स्टैंडर्ड के हिसाब से बनी होती, तो यह हादसा टल सकता था.

जैसलमेर से जोधपुर के लिए निकली थी बस

बस मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे जैसलमेर से जोधपुर के लिए निकली थी. करीब 3:30 बजे हाईवे पर अचानक बस से धुआं निकलने लगा. कुछ ही देर में आग ने बस को घेर लिया. पैसेंजर चीखने लगे, जबकि ड्राइवर उसे रोकने की कोशिश कर रहा था. चश्मदीदों के मुताबिक, आग इतनी तेज़ थी कि लोग पास जाने से डर रहे थे.

बच सकती थी जान

हादसे के बाद बस में कुछ टेक्निकल कमियां सामने आईं. बस में पैसेंजर के लिए इमरजेंसी एग्जिट गेट नहीं था. मेन गेट में आग लगी थी और दरवाज़ा लॉक था, इसलिए पैसेंजर अंदर फंस गए. जब ​​धुआं फैला, तो वेंटिलेशन सिस्टम नहीं था. अगर बस में फायर एक्सटिंग्विशर सिस्टम था, तो वह काम क्यों नहीं कर रहा था? यह भी सवाल उठ रहे हैं कि वह काम क्यों नहीं कर रहा था.

AC बसों में क्या सेफ्टी उपाय होने चाहिए?

  • फायर एक्सटिंग्विशर: हर बस में कम से कम दो एक आगे और एक पीछे.
  • इमरजेंसी एग्जिट: कम से कम एक दरवाज़ा और खिड़कियां जिनसे लोग बाहर निकल सकें.
  • ग्लास तोड़ने वाले हथौड़े: हर खिड़की के पास एक हथौड़ा रखा जाना चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर ग्लास तोड़ा जा सके.
  • फायर-रेसिस्टेंट मटीरियल: सीटें, पर्दे और वायरिंग फायर-रेसिस्टेंट होनी चाहिए.
  • इमरजेंसी लाइटिंग: बैकअप लाइट जो बिजली जाने पर अपने आप चालू हो जाती हैं.
  • CCTV कैमरे: बस के अंदर और बाहर सर्विलांस के लिए 24 कैमरे.
  • GPS ट्रैकिंग सिस्टम: रियल टाइम में बस की लोकेशन ट्रैक करने के लिए.
  • ऑटोमैटिक फायर अलर्ट सेंसर: आग या धुएं का पता चलने पर तुरंत अलार्म बजाने के लिए.
  •  स्पीड गवर्नर: बस की स्पीड को रेगुलेट करने के लिए.
  • RTO को हर छह महीने में बसों का सेफ्टी ऑडिट करना चाहिए. 
  • AC सिस्टम और वायरिंग के लिए इलेक्ट्रिकल टेस्टिंग रिपोर्ट ज़रूरी होनी चाहिए.

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