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6.4 लाख करोड़ का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट…चीन को उसी की भाषा में जवाब देगा भारत , बनाया बड़ा प्लान

Brahmaputra Hydropower Project: इस परियोजना की अनुमानित लागत 6.4 लाख करोड़ रुपये (77 अरब डॉलर) है, जिसके तहत 2047 तक 76 गीगावॉट बिजली ट्रांसमिट की जाएगी.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 14, 2025 5:21:08 AM IST



Brahmaputra Hydropower Project : भारत की सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) ने देश की बढ़ती बिजली मांगों को पूरा करने और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ब्रह्मपुत्र बेसिन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की विस्तृत योजना तैयार की है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 6.4 लाख करोड़ रुपये (77 अरब डॉलर) है, जिसके तहत 2047 तक 76 गीगावॉट बिजली ट्रांसमिट की जाएगी. यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.

योजना का ढांचा और क्षमता

CEA की योजना में पूर्वोत्तर भारत के 12 छोटे-छोटे इलाकों में 208 बड़े जल विद्युत प्रोजेक्ट शामिल किए गए हैं. इनकी कुल उत्पादन क्षमता 64.9 गीगावॉट है, जबकि 11.1 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता पंप्ड-स्टोरेज प्लांट्स से आएगी. ये पंप्ड-स्टोरेज प्लांट्स जरूरत पड़ने पर बिजली को स्टोर करके आपूर्ति को स्थिर बनाए रखेंगे, जिससे ग्रिड स्थिरता और बिजली आपूर्ति में निरंतरता बनी रहेगी.

रणनीतिक और सुरक्षा दृष्टि से इसका महत्व

यह परियोजना सिर्फ ऊर्जा के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत (चीन) से निकलकर भारत और फिर बांग्लादेश से होकर गुजरती है. नदी का सबसे ऊपरी हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में आता है, जहां भारी जल विद्युत क्षमता मौजूद है. लेकिन चीन भी इसी नदी के ऊपरी हिस्से में यारलुंग जांग्बो पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है, जिसकी लागत लगभग 167 अरब डॉलर (1.44 लाख करोड़ रुपये) है.

भारत को आशंका है कि चीन का यह बांध शुष्क मौसम में जल आपूर्ति को 85% तक कम कर सकता है, जिससे पूर्वोत्तर भारत पर गंभीर असर पड़ेगा. इसलिए भारत ने इस क्षेत्र में अपने जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए यह विशाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट शुरू किया है.

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आर्थिक निवेश और चरणबद्ध निर्माण

इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा. पहला चरण 2035 तक पूरा होगा, जिसकी लागत लगभग 1.91 लाख करोड़ रुपये होगी. वहीं दूसरा चरण 4.52 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 2047 तक समाप्त होगा. इसमें NHPC, NEEPCO, SJVN जैसी प्रमुख सरकारी कंपनियां भागीदारी करेंगी.

स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय लक्ष्य

साल 2030 तक भारत ने गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. ब्रह्मपुत्र बेसिन योजना इस दिशा में एक निर्णायक कदम है.

यह परियोजना न केवल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास, जल प्रबंधन, और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूती देगी — जिससे भारत की ऊर्जा नीति को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी.

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