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Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा कब है? जानें सही तारीख और पूजा विधि

Govardhan Puja 2025: दिवाली के ठीक बाद गोर्वधन पूजा मनाने का खास महत्व है. ये त्योहार इस साल 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण की उस लीला की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था.

By: Shivi Bajpai | Published: October 12, 2025 4:08:46 PM IST



Govardhan Puja Kab Hai: पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार का एक दिन गोवर्धन पूजा के नाम से मनाया जाता है. ये त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है. यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की उस लीला की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. ये दिन प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है. तो आइए जानते हैं साल 2025 में गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है?

2025 में गोवर्धन पूजा कब है?

साल 2025 में गोर्वधन पूजा का त्योहार 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. प्रतिपदा तिथि की शुरूआत 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर होगी और इसका समापन 22 अक्टूबर को शाम 8 बजकर 16 मिनट पर होगा. पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट तक है. इस दिन भक्त श्रीकृष्ण, गायों और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं.

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा क्या है?

गोवर्धन पूजा की कथा के अनुसार, प्राचीनकाल की बात है जब वृंदावन में हर साल ग्रामीण इंद्र देव की पूजा करते थे कि वहां पर बारिश हो जाए और खेती अच्छी हो जाए. लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि वर्षा का असली कारण तो प्रकृति है पेड़, नदियां और पर्वत. जब लोगों ने इंद्र देव की पूजा छोड़ दी तो इंद्र क्रोधित हो गए और फिर मूसलाधार बारिश हो गई. उसी वक्त श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सभी को सुरक्षित कर दिया. इसी वजह से हर साल गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाने लगा.

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गोवर्धन पूजा की विधि 

  • गोवर्धन पूजा के लिए आप सुबह स्नान के बाद पूरे घर की साफ-सफाई कर लें
  • आंगन में गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं
  • इसे फूल, पत्तियों और दीपों से सजाएं
  • 56 भोग या अन्नकूट के रूप में कई तरह के व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित करें
  • गायों और बछड़ों की पूजा करें, उन्हें हरी घास और गुड़ खिलाएं
  • आखिरी में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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