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Bihar Chunav 2025: आचार संहिता लागू होते ही DM-SP के पास कौन-कौन सी पावर आ जाती है?

Model Code of Conduct: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई है. ऐसे में डीएम और एसपी को कौन-कौन सी शक्ति आ जाती है. आइये विस्तार से जानते हैं.

By: Sohail Rahman | Published: October 6, 2025 7:04:34 PM IST



Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है. पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। इसके अलावा, चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। चुनाव की तारीखों का एलान होते ही आचार संहिता लागू हो गया है. आचार संहिता के दौरान जिले के डीएम और एसपी के पास प्रशासनिक और कानूनी तौर पर कुछ एक्स्ट्रा पावर आ जाती हैं. इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि चुनाव निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी ढंग से संपन्न हों. ऐसे में आइये जानते हैं कि डीएम और एसपी को कौन-कौन से पावर मिलते हैं.

आचार संहिता के बाद डीएम की शक्ति

आचार संहिता लागू होने के बाद सबसे पहले डीएम और एसपी सीधे तौर पर चुनाव आयोग के नियंत्रण में आ जाते हैं. इसे आसान भाषा में समझने का प्रयास करें तो अब वे राज्य सरकार के नहीं, बल्कि आयोग के आदेशों के अनुसार काम करते हैं. डीएम जिले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर काम करता है. उसे यह अधिकार मिल जाता है कि वह किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की ड्यूटी चुनाव कार्य के लिए लगा सकता है.

इसके अलावा, डीएम को यह पावर होती है कि वह आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक दल पर तुरंत कार्रवाई करा सके. प्रचार सामग्री जब्त करना, अवैध पोस्टर हटवाना, अनधिकृत रैलियों को रोकना यह सब डीएम और एसपी के अधिकार क्षेत्र में आता है.

आचार संहिता के बाद एसपी को क्या-क्या शक्तियां मिलेंगी?

आचार संहिता के लागू होते ही एसपी की भूमिका भी बेहद जरूरी होती है. जिले की कानून-व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी उसी के पास होती है. आचार संहिता लागू होने के बाद एसपी पुलिस बल की तैनाती, पेट्रोलिंग, फ्लैग मार्च और संवेदनशील बूथों की सुरक्षा व्यवस्था खुद तय करता है. एसपी को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी इलाके में धारा 144 लागू कर सके ताकि कोई राजनीतिक दल या व्यक्ति चुनावी माहौल बिगाड़ न सके.

दोनों अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई सरकारी संसाधन चुनाव प्रचार में इस्तेमाल न हो. डीएम को यह भी अधिकार होता है कि वह किसी अधिकारी का ट्रांसफर या ड्यूटी बदलने की अनुशंसा चुनाव आयोग को कर सके, यदि उस पर किसी दल के पक्षपात का आरोप लगे.

कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी

इसके साथ ही किसी भी शिकायत या विवाद की स्थिति में डीएम को तुरंत जांच करने और रिपोर्ट आयोग को भेजने का निर्देश होता है. कुल मिलाकर आचार संहिता लागू होते ही डीएम और एसपी के पास प्रशासनिक नियंत्रण, कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी और चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने की पूरी ताकत होती है.

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