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गांधी जी ने कब दिया था अपना पहला भाषण? जो आजादी के लिए बन गया था उद्घोष

Gandhi Jayanti 2025: 24 साल के उम्र में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. यह साल 1893 था. 22 साल तक विदेश में रहने के बाद 9 जनवरी 1915 को वो भारत लौट आए.

By: Divyanshi Singh | Published: October 1, 2025 3:49:40 PM IST



Gandhi Jayanti 2025: गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है. यह महात्मा गांधी का जन्मदिन है.मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था. जो भारत की आज़ादी की लड़ाई के एक बड़े नेता थे. उन्हें प्यार से ‘बापू’ या ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है. गांधी जी एक नेता, समाज सुधारक और वकील थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य, अहिंसा  का रास्ता अपनाकर आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी. साल 2025 में हम उनकी 156वीं जयंती मना रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी का पहला भाषण क्या था.

 22 साल बाद लौटे देश

बता दें कि 24 साल के उम्र में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. यह साल 1893 था. 22 साल तक विदेश में रहने के बाद 9 जनवरी 1915 को वो भारत लौट आए. जब वह भारत लौटे तब देश में ब्रिटिश शासन था और देश मुश्किल दौर से गुजर रहा था. देश पूरी तरह बदल चुका था राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली हो चुकी थी. गांधी 22 साल बाद एक अनुभवी वकिल बनकर भारत लौटे थे.

गोपाल कृष्ण गोखले ने दी थी ये सालह

बताया जाता है कि गांधीजी, गोपाल कृष्ण गोखले (Gopal Krishna Gokhale) को बहुत मानते थे. कहा जाता हा कि गांधीजी इनसे राजनीतिक सलाह (Political advice) भी लेते थे. गांधीजी के देश लौटने के बाद गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हे भारत को समझने के लिए एक साल पूरे देश में भम्रण की सलाह दी थी. ताकि वो ब्रिटिश भारत में लोगों की परेशानियों को ठिक से समझ सकें.

गांधीजी का पहला भाषण

भारत लौटने के एक वर्ष बाद गांधीजी पहली बार सार्वजनिक रूप से 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. यहां उन्होने अपना पहला भाषण दिया. गांधीजी ने अपने पहले भाषण में कहा ‘भारत के लिए मुक्ति तब तक संभव नहीं है जब तक कि आप अपने को इन अलंकरणों से मुक्त न कर लें और इन्हें भारत के अपने हमवतनों की भलाई में न लगा दें.’

गांधी जी ने कहा कि ‘हमारे लिए स्वशासन का तब तक कोई अभिप्राय नहीं है जब तक हम किसानों से उनके श्रम का लगभग सम्पूर्ण लाभ स्वयं अथवा अन्य लोगों को ले लेने की अनुमति देते रहेंगे. हमारी मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से ही हो सकती है. न तो वकील, न डॉक्टर, न ही जमींदार इसे सुरक्षित रख सकते हैं.’ बीएचयू में दिया गया गांधीजी का यह पहला भाषण देश की आजादी के लिए उनका उद्घोष था.

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