BTC Elections in Assam: असम को भाजपा का गढ़ माना जाता है. मुख्यमंत्री सरमा के आने के बाद से यह ताकत और भी बढ़ी है. हालांकि, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) के चुनावों में एनडीए की सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने आधी से ज़्यादा सीटें जीती हैं. एक ही गठबंधन में होने के बावजूद, इसे भाजपा के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, भाजपा इसे एनडीए की जीत के रूप में देख रही है.
क्यों बीजेपी के लिए हैं चुनौती?
दरअसल, बीटीसी चुनावों को 2026 के विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा खुद भी चुनावों में आक्रामक प्रचार करते नज़र आए. चुनाव से पहले ही, सीएम सरमा ने बीपीएफ के साथ गठबंधन का विकल्प खुला रखा था. कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा विरोधी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था.
सीएम सरमा ने कहा, “मैं हाग्रामा मोहिलरी और बीपीएफ को बीटीसी चुनावों में उनकी जीत के लिए बधाई देता हूँ. बीपीएफ भी एनडीए का हिस्सा है और अब सभी 40 बीटीसी सीटें एनडीए के घटक दलों के पास हैं. हाग्रामा मोहिलरी आज सुबह मुझसे मिलने आए थे और वह एनडीए के साथ बने रहेंगे. गठबंधन में कोई समस्या नहीं है और हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे.”
बीटीसी चुनाव नतीजों पर एक नजर
गौरतलब है कि 2016 से भाजपा को विधानसभा, लोकसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में ज़बरदस्त सफलता मिली है. हालाँकि, बीटीसी चुनावों ने भाजपा की सीटों की संख्या को कम कर दिया है. हगरमा मोहिलरी के नेतृत्व वाली बीपीएफ ने 40 में से 28 सीटें जीतीं. यूपीपीएल (यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल) ने 7 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को केवल 5 सीटें मिलीं.
पिछले चुनाव परिणामों की बात करें तो, यूपीपीएल ने 12 और भाजपा ने 9 सीटें जीती थीं. 2020 के चुनावों में बीपीएफ 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालाँकि, यूपीपीएल ने भाजपा और गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) के साथ गठबंधन करके परिषद का गठन किया.
कौन हैं हाग्रामा मोहिलरी? जिसने बढ़ाई BJP की चिंता
बीपीएफ प्रमुख मोहिलरी एक पूर्व विद्रोही नेता हैं. वह विद्रोही समूह बोडोलैंड लिबरेशन टाइगर्स के प्रमुख थे. लेकिन, 2003 में बोडो समझौते के बाद बीटीसी की स्थापना के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. 2003 में हथियार छोड़ने के बाद, उन्होंने 2005 में बीपीएफ की स्थापना की. वह बीटीसी के पहले सीईएम (मुख्य कार्यकारी सदस्य) भी बने. उन्होंने 2005 से 2020 के बीच इस पद पर तीन कार्यकाल पूरे किए.
2010 और 2016 के विधानसभा चुनाव बीपीएफ के लिए अनुकूल साबित हुए. हालांकि, 2020 में, पार्टी अपने नेतृत्व और भाजपा व यूपीपीएल में फूट के कारण सत्ता खो बैठी.
मोहिलरी ने कहा कि बीपीएफ किसी भी पार्टी, चाहे वह यूपीपीएल हो या भाजपा, के समर्थन को अस्वीकार नहीं करेगी, अगर वे आगे आते हैं. उन्होंने कहा, “मैंने सुना है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम एनडीए के सहयोगी के रूप में साथ मिलकर काम करेंगे. हम इसका स्वागत करते हैं.”
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