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Shardiya Navratri 2025 Maa Shailputri: शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज, मां शैलपुत्री मंत्र, पूजा-विधि और आरती

Shardiya Navratri 2025 First Day: शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से होता है. वर्ष 2025 में यह शुभ पर्व 22 सितंबर से शुरू हो रहा है और इसका पहला दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को समर्पित है. नवरात्रि का यह प्रथम दिन शक्ति उपासना का आरंभिक चरण माना जाता है, जो साधकों को ऊर्जा, शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है.

By: Shivi Bajpai | Published: September 22, 2025 8:38:39 AM IST



Shardiya Navratri 2025 Maa Shailputri: शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को समर्पित होता है.पर्वतराज हिमालय की पुत्री और वृषभ पर सवार मां शैलपुत्री को शक्ति, धैर्य और स्थिरता की प्रतीक माना जाता है.इस दिन भक्त प्रातः स्नान करके घर की शुद्धि करते हैं, कलश स्थापना करते हैं और मां को सफेद वस्त्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करते हैं.मां शैलपुत्री की पूजा में “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप और आरती करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है.मान्यता है कि इस दिन मां की आराधना करने से साधक को मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है तथा नवरात्रि की साधना का शुभारंभ सफल होता है

मां शैलपुत्री का महत्व

मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है.उनका वाहन वृषभ (बैल) है और वे अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं. शैलपुत्री को ‘प्रकृति’ का प्रतीक माना जाता है. इनके पूजन से साधक का मन स्थिर होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है.

पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन प्रातः स्नान करके घर के मंदिर या पूजा स्थल को स्वच्छ कर गंगाजल से शुद्ध करें. कलश स्थापना का विशेष महत्व इस दिन होता है. तांबे या मिट्टी के कलश पर स्वस्तिक बनाकर उसमें जल, सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें.कलश के ऊपर नारियल रखें और आम के पत्तों से सजाएं.इसके बाद मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें.
मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, गंध, धूप और चावल अर्पित करें. दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करना शुभ माना जाता है.

मंत्र

मां शैलपुत्री की आराधना के लिए यह मंत्र विशेष फलदायी माना जाता है:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥”

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए. इससे मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.

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आरती

पूजन के अंत में मां शैलपुत्री की आरती करना अनिवार्य है.घी या कपूर से दीपक जलाकर आरती करें और परिवार सहित मां के जयकारे लगाएं.मान्यता है कि आरती करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और नकारात्कता दूर होती है.

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।
सद्गुणों की दाता, जय शैलपुत्री माता॥

चंद्रमुखी शशि शेखर, करती सदा भला।
करती सदा भला, सुख-सम्पत्ति दाती, दुख हरती निकला॥
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।

वृषभ वाहन राजत, खड्ग त्रिशूल धरा।
खड्ग त्रिशूल धरा, मन वांछित फल देती, सेवा जो कोई करा॥
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।

पार्वती उमा भवानी, शिव की अर्द्धांगिनी।
शिव की अर्द्धांगिनी, भक्तों की पालन करती, त्राहि त्राहि जननी॥
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।

सद्गुणों की दाता, जय शैलपुत्री माता॥

Happy Shardiya Navratri 2025 Wishes: शारदीय नवरात्रि पर अपने मित्रों और परिजनों को भेजें शुभकामनाएं

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