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Mahalaya Amavasya 2025: महालया अमावस्या क्या होती है? जानें इसका महत्व

Mahalaya Amavasya 2025: आश्विन माह की अमावस्या तिथि को महालया अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन पितरों की विदाई होती है. इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. साल 2025 में ये अमावस्या 21 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी.

By: Shivi Bajpai | Published: September 18, 2025 2:15:23 PM IST



Mahalaya Amavasya 2025: महालया अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ये दिन पितृ पक्ष के अंत और दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक है. महालया अमावस्या पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है. इसलिए इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व है. इस दिन मां दुर्गा धरती पर आगमन के लिए कैलाश पर्वत से विदा लेती है और धरती पर माता रानी का आगमन होता है. जानतें हैं साल 2025 महालया अमावस्या कब है और जानें इस तिथि का महत्व.

महालया अमावस्या 2025: श्राद्ध का समय और महत्व

अमावस्या तिथि का श्राद्ध
 तिथि – 21 सितंबर 2025, रविवार

कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:50 से 12:38 तक (अवधि: 49 मिनट)

रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:38 से 01:27 तक (अवधि: 49 मिनट)

अपराह्न काल – 01:27 से 03:53 तक (अवधि: 2 घंटे 26 मिनट)

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महालया अमावस्या का महत्व

महालया अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है, जिसे पितरों की विदाई का दिन माना जाता है. इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है.

इस अवसर पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है.

मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है.

गंगा स्नान और तर्पण से पितरों की कृपा मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

महालया अमावस्या के बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है, इसलिए यह दिन और भी पावन बन जाता है.

यह दिन आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पितृ पितृलोक वापस लौट जाते हैं और माता दुर्गा के आगमन की तैयारी होती है.

इसी दिन देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जाता है और उनकी आंखों में चक्षुदान (आंखों का रंग भरना) किया जाता है.

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