ओड़िशा से अक्षय महाराणा की रिपोर्ट
Oisha crime: ओडिशा के मयूरभंज जिले से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां गांववालों ने सिर्फ शक के आधार पर एक महिला और दो पुरुषों को बिजली के खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा. यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा.
अवैध सम्बन्ध का शक
मामला जिले के जशिपुर इलाके का है. जानकारी के मुताबिक, काशीपुर गांव की रहने वाली एक विवाहित महिला, जो दो बच्चों की मां है, अपने गांव के ही दो पुरुषों के साथ बाइक से साप्ताहिक बाजार गई थी. बाजार से लौटते समय महिला के परिजनों ने उसे उन दोनों पुरुषों के साथ देखा और शक जताया कि महिला का किसी एक पुरुष के साथ संबंध हो सकता है.
परिवार के कुछ लोगों ने बिना किसी ठोस सबूत के यह बात गांव में फैला दी कि महिला का चरित्र संदिग्ध है। इसके बाद माहौल गरमा गया और बात इतनी बढ़ गई कि गांव के कुछ लोग महिला और दोनों पुरुषों को जबरन पकड़कर ले आए। तीनों को बिजली के खंभे से बांधा गया और भीड़ ने बारी-बारी से लात-घूंसों और डंडों से उनकी बेरहमी से पिटाई की।
लोग बने रहे मूकदर्शक
कैमरे में कैद हुए वीडियो में साफ दिखा कि कुछ लोग इस घटना का मजाक उड़ाते हुए वीडियो बना रहे थे, जबकि कुछ लोग पीड़ितों को पीटने में लगे थे. महिला को भी पुरुषों के साथ समान रूप से मारा गया. इस बीच किसी ने भी यह सोचने की जहमत नहीं उठाई कि शायद हकीकत कुछ और भी हो सकती है. सूत्रों के अनुसार, जिन पुरुषों के साथ महिला बाजार गई थी, उनमें से एक उसका दूर का रिश्तेदार था, जिसे वह भाई की तरह मानती थी. इसके बावजूद महिला के मामा और अन्य परिजनों ने शक के आधार पर हिंसा को अंजाम दिया.
हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और बड़ी मुश्किल से तीनों को भीड़ के चंगुल से छुड़ाया. सभी घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है और जो भी लोग इस हिंसक घटना में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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समाज में खतरनाक मानसिकता को उजागर करती यह घटना
यह घटना समाज में मौजूद उस खतरनाक मानसिकता को उजागर करती है, जहां लोग शक के आधार पर कानून अपने हाथ में ले लेते हैं. कानून विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सबूत किसी पर आरोप लगाना और सार्वजनिक रूप से उसकी पिटाई करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी खुला उल्लंघन है.
मत बनें भीड़तंत्र का हिस्सा, कानून पर रखें भरोसा
सवाल यह है कि यदि पुलिस समय पर न पहुंचती, तो क्या यह घटना और भी भयावह रूप ले सकती थी? यह मामला एक चेतावनी है कि भीड़तंत्र के बजाय कानून पर भरोसा करना ही सही रास्ता है.