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Caste census: कर्नाटक में 22 सितंबर से जाती जनगणना होगी शुरू, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताई वजहें

Caste census: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को घोषणा की कि कर्नाटक में  22 सितंबर, 2025  से 7 अक्तूबर, 2025  के बीच एक नया सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण कराया जाएगा,  राज्य सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए 420 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं

By: Swarnim Suprakash | Published: September 12, 2025 5:19:30 PM IST



Caste census: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पिछले जाती जनगणना के सर्वेक्षण को अस्वीकृत होने के बाद नए जाती जनगणना का फैसला किया. उन्होंने कहा कि पिछले जनगणना की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया जिसके कारण 22 सितम्बर 2025 से नई जनगणना के सर्वेक्षण के आदेश दिए गए हैं. मधुसूदन जो बीसी आयोग के अध्यक्ष हैं उनके साथ पांच और सदस्य राज्य के सात करोड़ परिवारों का डाटा जानने और इकठ्ठा करने के लिए नया सर्वेक्षण करेंगे. मधुसूदन आयोग का यह सर्वेक्षण 22 सितंबर, 2025 से शुरू होगा और 7 अक्तूबर, 2025 तक या उससे पहले पूरा कर लिया जाएगा. 

2015 में हुई जाति जनगणना को सरकार ने नहीं किया स्वीकार 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को घोषणा की कि कर्नाटक में  22 सितंबर, 2025  से 7 अक्तूबर, 2025  के बीच एक नया सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि 2015 में हुई जाति जनगणना को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि पिछली जनगणना के दस साल बीत गए हैं जिसके बाद समाज की वर्तमान इस्थिति और वास्तविकताओं को समझने के लिए एक नया सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण आवश्यक हो गया है.

असमानताओं को दूर करने और लोकतंत्र की नींव मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ‘समाज में कई धर्म और जातियां हैं. विविधता और असमानता भी है. संविधान कहता है कि सभी समान होने चाहिए और सबके लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘यह सर्वेक्षण असमानताओं को दूर करने की दिशा में और लोकतंत्र की नींव मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.’ 

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‘कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग’ करेगा यह सर्वेक्षण 

‘कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग’ की ओर से किया जाने वाला यह सर्वेक्षण, राज्य के लगभग सात करोड़ परिवारों की पूरी आबादी को शामिल करेगा ऐसी उम्मीद है. प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट घरेलू पहचान पत्र (UID) और स्टिकर दिया जाएगा, जिसमें से अभी तक 1.55 करोड़ स्टिकर लगाए जा चुके हैं. परिवारों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्थिति का विवरण इकठ्ठा करने के लिए 60 प्रश्नों वाली एक प्रश्नावली बनाई गई है. इस सर्वेक्षण के लिए दशहरे की छुट्टियों के दौरान 1.85 लाख राज्य कर्मचारियों (सरकारी शिक्षकों) को तैनात किया जाएगा. 

 पूरी प्रक्रिया के लिए 420 करोड़ रुपये निर्धारित

प्रत्येक सरकारी शिक्षक को 20,000 रुपये तक का मानदेय मिलेगा, जिससे शिक्षकों के पारिश्रमिक के लिए कुल आवंटन 325 करोड़ रुपये हो जाएगा. 
 राज्य सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए 420 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जो 2015 की जाति जनगणना के दौरान खर्च किए गए 165 करोड़ रुपये से काफी अधिक है. डेटा की सटीकता में सुधार के लिए तकनीकी सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जा रहा है.

जो जाती की गोपनीयता बनाए रखना चाहते हैं उनके लिए भी विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी 

प्रत्येक घर को उसके बिजली मीटर नंबर से जियो-टैग किया जाएगा साथ ही साथ राशन कार्ड और आधार कार्ड के विवरण को मोबाइल नंबरों से जोडा जाएगा.  
जो लोग गणनाकर्ताओं को जाति विवरण नहीं बताना चाहते हैं, उनके लिए एक समर्पित हेल्पलाइन (8050770004) पर कॉल करके या ऑनलाइन जानकारी देने के विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं. 

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