Nepal Protest: नेपाल में GEN-Z के हिंसक प्रर्दशनों के बाद आखिरकार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया है। केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को अपना इस्तीफ़ा सौंपते हुए कहा कि यह राजनीतिक समाधान और मौजूदा मुद्दों के समाधान के लिए है। प्रधानमंत्री ओली ने अपने इस्तीफ़े में कहा “नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार, मुझे 15 जुलाई, 2024 को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। देश की वर्तमान असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए और संवैधानिक राजनीतिक समाधान व समस्या-समाधान के लिए आगे के प्रयास शुरू करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 77 (1) (ए) के अनुसार आज से प्रभावी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देता हूं।”
क्यों दिया इस्तीफा?
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने क्यों दिया इस्तीफा? इसके पीछे कई वजहें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि हिंसक प्रदर्शन के बाद केपी ओली पर नैतिक दबाव बढ़ गया था। इसी वजह से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। हिंसक प्रदर्शनों में 20 से ज्यादा लोगों मौत के बाद ओली सरकार कटघरे में थी। हालात पर काबू पाने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा। बावजूद इसके Gen-Z के हिंसक प्रदर्शन के चलते सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने केपी ओली को इस्तीफा देने की सलाह दी थी। इससे पहले गृहमंत्री रमेश लेखक और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल पहले ही इस्तीफा दे चुके थे, जिसके बाद हार कर केपी ओली को भी अपना पद त्यागना पड़ा।
क्या होगा राजनीतिक विकल्प
जानकारी के अनुसार, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद देश की कमान उप-प्रधानमंत्री को सौंप दी है। हालाँकि, प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि देश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, संसद को भंग कर नए चुनाव कराने की भी मांग की जा रही है।
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क्या कहा है नेपाल का संविधान ?
नेपाल के संविधान (Constitution of Nepal) के अनुसार प्रधानमंत्री के अचानक इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति को लिखित रूप से सूचित किया जाना चाहिए। तो यह इस्तीफा मान्य माना जाता है। राष्ट्रपति इसे स्वीकार करते हैं और सरकार के प्रमुख के पद पर रिक्ति की घोषणा करते हैं।
राष्ट्रपति की भूमिका
राष्ट्रपति का संविधान के तहत यह दायित्व होता है कि वह नए प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया शुरू करें। राष्ट्रपति संविधान की धारा 76 के तहत नए प्रधानमंत्री के लिए संभावित उम्मीदवारों से परामर्श करते हैं।
नए प्रधानमंत्री का चयन
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यदि संसद की एक निश्चित पार्टी के पास बहुमत होता है, तो उस पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है।
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यदि किसी पार्टी के पास बहुमत नहीं है, तो राष्ट्रपति संसद के सदस्यों के बीच से सबसे अधिक बहुमत प्राप्त उम्मीदवार को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं।
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यदि बहुमत प्राप्त नहीं होता है, तो राष्ट्रपति संसद को भंग कर नई चुनाव कराने का आदेश दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री पद रिक्त रहने की अवधि
प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद, नया प्रधानमंत्री नियुक्त होने तक पूर्व प्रधानमंत्री या उनकी सरकार एक कार्यवाहक सरकार के रूप में काम करती है, ताकि प्रशासनिक कार्य बिना रुकावट जारी रह सकें।
सरकार का विश्वास परीक्षण
नया प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद में विश्वास मत प्राप्त करना आवश्यक होता है। यदि विश्वास मत प्राप्त हो जाता है, तो सरकार स्थिर मानी जाती है। यदि नहीं, तो फिर से राष्ट्रपति अन्य विकल्पों की तलाश करते हैं।