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1951 की रोल्स रॉयस को लेकर पति-पत्नी में चल रहा था विवाद, SC ने ‘शाही शादी’ को करवाया खत्म

Katyayani Angre vs Arjun Singh Kak: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ की कोशिशों के बाद अरुण सिंह काक और कात्यायनी आंगरे के बीच शादी के करीब 7 साल बाद समझौता हुआ।

By: Sohail Rahman | Published: September 8, 2025 9:21:28 AM IST



Rolls Royce Dowry Case: उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक प्रतीकात्मक समारोह में शुरू हुआ विवाह काफी लंबे समय के बाद सुप्रीम कोर्ट में समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता के बाद जो नेहरू के जमाने की रोल्स रॉयस दहेज विवाद से जुड़ा है। दरअसल, पूरा मामला दहेज की मांग से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक प्राचीन रोल्स रॉयस कार को शामिल किया गया था, जिसे कभी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की महारानी के लिए मंगवाया था। 29 अगस्त, 2025 को न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पचोली की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कात्यायनी आंग्रे और अर्जुन सिंह काक के विवाह को भंग कर दिया। न्यायाधीशों ने एक मध्यस्थता समझौते को दर्ज किया जिसके तहत पति ने पत्नी को 2.25 करोड़ रुपये देने पर सहमति व्यक्त की।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने समझौते की पुष्टि की है। आदेश में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा हमें प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए हम याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या 1 के बीच विवाह को भंग करते हैं। अब उनके बीच कोई भी वैवाहिक या अन्य संबंध नहीं रहेगा। इस समझौते के तहत, महिला अपने पति और उसके परिवार द्वारा दिए गए सभी उपहार अपने पास रखेगी। पति ने सगाई की अंगूठी, अचकन के बटन और 10 ग्राम गिन्नी सहित अन्य सामान वापस करने पर सहमति जताई है। उसने उसी दिन अदालत में एक करोड़ रुपये का बैंक ड्राफ्ट और उपहार भी सौंप दिए और शेष 1.25 करोड़ रुपये 30 नवंबर, 2025 तक चुकाने का वादा किया।

दोनों पक्षों ने संयुक्त रूप से की घोषणा

दोनों पक्षों ने संयुक्त रूप से घोषणा की कि यह एक पूर्ण और अंतिम समझौता है, जिसमें सभी विवादों को समाप्त कर दिया गया है और भविष्य में कोई दावा नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, दोनों पक्षों के बीच ये भी समझौता हुआ है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करेंगे। उनके द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर लंबित आपराधिक और दीवानी मामले रद्द कर दिए गए। आपको बतातें चलें कि पत्नी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के 5 दिसंबर, 2023 के उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दहेज की मांग और क्रूरता की उसकी शिकायत को खारिज कर दिया गया था।

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पत्नी ने क्या दावा किया था?

दरअसल, पत्नी ने दावा किया था कि उसके पति और ससुराल वालों ने उसे 1951 की रोल्स रॉयस और मुंबई के एक फ्लैट के लिए परेशान किया था। उनके अनुसार, रोल्स रॉयस एचजे मुलिनर एंड कंपनी द्वारा हस्तनिर्मित एक दुर्लभ मॉडल थी, जिसे जवाहरलाल नेहरू ने महारानी चिमना बाई साहिब गायकवाड़ की ओर से मंगवाया था और यह उनके परिवार को विरासत में मिली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ससुर और पति ने कार के प्रति अपने आकर्षण का खुलेआम प्रदर्शन किया और उम्मीद जताई कि यह उन्हें उपहार में दी जाएगी और जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्हें उनके ससुराल में प्रवेश नहीं दिया गया और उनका चरित्र हनन किया गया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका परिवार छत्रपति शिवाजी महाराज के एक एडमिरल के वंशज हैं, जिन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था, जिससे एक उच्च-स्थिति वाले रिश्ते की कहानी और भी पुख्ता हो गई।

पति ने सभी आरोपों को किया खारिज

पत्नी के आरोपों पर पति का भी जवाब सामने आया है, जिसमें उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल, 2018 को ऋषिकेश में हुआ विवाह उनके पारिवारिक गुरु की सलाह पर ज्योतिषीय कारणों से किया गया एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान मात्र था। उन्होंने कहा कि दंपति कभी साथ नहीं रहे, विवाह कभी संपन्न नहीं हुआ और ग्वालियर में विवाह का पंजीकरण धोखाधड़ी से हुआ था। उन्होंने पत्नी और उसके रिश्तेदारों पर विवाह प्रमाणपत्र बनाने में जालसाजी का आरोप लगाया। उन्होंने रोल्स रॉयस या मुंबई में फ्लैट मांगने से भी इनकार किया।

लंबी बातचीत के बाद मध्यस्थता से हुआ समझौता

नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत को मध्यस्थ नियुक्त करते हुए दोनों पक्षों से मध्यस्थता की संभावना तलाशने को कहा था। लंबी बातचीत के बाद, मध्यस्थता से समझौता हो गया।

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