8th Pay Commission: मोदी सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी दे दी है, जिसके बाद सभी केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी इन दिनों 8वें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद वेतन पर सबकी नज़र है। लेकिन आइए जानते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन कैसे होता था।
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8वां वेतन आयोग कब लागू होगा
सरकार ने आश्वासन दिया है कि वेतन में बदलाव का प्रोसेस 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को गवर्मेंट द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही शुरू होगी। माना जा रहा है कि इसे जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है। माना यह भी जा रहा है कि अब 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक हो सकता है। ऐसा होने पर न्यूनतम मूल वेतन 51,000 रुपये से अधिक हो सकता है और कर्मचारियों का तनख्वाह चालीस हजार से 45,000 रुपये तक बढ़ सकता है।
ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति
अब बात करते हैं ब्रिटिश शासन की, तो आपको बता दें कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में सरकारी नौकरियों की संरचना बहुत अलग थी। उस समय ज़्यादातर उच्च पदों पर ब्रिटिश अधिकारी ही काबिज़ थे। इनमें भारतीयों को बहुत कम अवसर मिलते थे। निचले स्तर की सेवाओं में क्लर्क, तहसीलदार और अन्य छोटे पद शामिल थे। पदोन्नति का आधार मुख्यतः वरिष्ठता और निष्ठा थी। ब्रिटिश अधिकारी भारतीय कर्मचारियों का मूल्यांकन उनकी निष्ठा और कार्यकुशलता के आधार पर करते थे। हालाँकि, भारतीय कर्मचारियों के लिए उच्च पदों पर पदोन्नति पाना मुश्किल था, क्योंकि अंग्रेजो के राज में नस्लीय भेदभाव बिल्कुल आम बात थी।
पदोन्नति कैसे होती थी
उच्चतम पद के कर्मचारियों की कमाई निम्नतम स्तर के कर्मचारी की कमाई से लगभग दस गुना ज़्यादा होती थी। अब सवाल यह है कि अंग्रेज़ सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति कैसे करते थे, तो उस दौरान पदोन्नति प्रक्रिया में कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी। विभागाध्यक्षों की सिफ़ारिशें और व्यक्तिगत रिकॉर्ड ही महत्वपूर्ण होते थे। साथ ही, वेतन और पदोन्नति का फ़ैसला सरकार की इच्छा पर निर्भर करता था।
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