Flood Management: लगातार हो रही भारी बारिश के चलते देश के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पंजाब में बाढ़ के चलते काफी नुकसान की खबर है। फिलहाल भारतीय सेना वहां पर राहत और बचाव का काम कर रही है। राजधानी दिल्ली में भी यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं गुरुग्राम में बारिश होने के बाद सड़क नहरों में तब्दील हो जा रही हैं, जिससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा पहाड़ों पर भी लगातार हो रहे भूस्खलन से जान-माल दोनों का काफी नुकसान हुआ है। खबरों के मुताबिक हिमाचल इसके चलते 1,000 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं। इन सब के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि आसमान से बरसती आफत के चलते कई इलाकों में जनजीवन ठप हो गया है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा देश भी हैं, जिसने बाढ़ जैसी आपदा से बचने का स्थायी समाधान खोज लिया है। यहां पर हम नीदरलैंड्स कर रहे हैं, जो कि खुद बाढ़ से जूझता रहा है। लेकिन अब उसके जल प्रबंधन ने दुनिया भर में सुर्खियां बटौरी हैं। चलिए इसके बारे में जानते हैं।
नीदरलैंड्स का जल प्रबंधन
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि नीदरलैंड का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा समुद्र तल से नीचे है, जहां देश की 20 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी रहती है। इसके अलावा, देश का आधा हिस्सा समुद्र तल से कुछ ही मीटर ऊपर है। इस वजह से वहां बाढ़ का ख़तरा हमेशा बना रहता है। इससे बचने के लिए वहां की सरकार ने कई ज़रूरी कदम उठाए हैं, जिनमें देश में समुद्र के किनारे तटबंध बनाए गए हैं।
इसके अलावा, रॉटरडैम शहर में समुद्र पर एक विशाल द्वार बनाया गया है जो समुद्र के पानी को रोकने का काम करता है। जिसका इस्तेमाल बाद में वाटर स्पोर्ट्स इवेंट्स के लिए किया जाता है।
शानदार ड्रेनेज सिस्टम
नीदरलैंड की ड्रेनेज सिस्टम बाढ़ के पानी की निकासी के लिए बेहतरीन काम करती है। 17वीं शताब्दी में बनी इस प्रणाली का नियमित रखरखाव किया जाता है। शहर में बाढ़ आने पर पानी निकालने के लिए एक विशेष पंपिंग सिस्टम भी है। पवनचक्की जैसी दिखने वाली यह प्रणाली शहर से अतिरिक्त पानी निकालकर नदियों और नहरों में भेजती है, जिसका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है।
इसके अलावा, सरकार लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर बाढ़ नियंत्रण के उपाय अपनाने की भी अपील करती है। इसके अलावा, नीदरलैंड में तैरते हुए घर भी बनाए गए हैं। लकड़ी से बने ये घर आपको एम्स्टर्डम से लेकर लागोस तक मिल जाएँगे। इन तैरते हुए घरों का आधार सीमेंट का बना होता है। लेकिन इसके अंदर स्टायरोफोम भरा होता है, ताकि ये पानी में डूबें नहीं।
1953 में आई बाढ़ में हजारों की जली गई थी जान
नीदरलैंड में साल 1953 में आई बाढ़ के कारण लगभग 2000 लोगों की जान चली गई और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए। हालात ऐसे थे कि 600 वर्ग मील का इलाका पूरी तरह पानी में डूब गया था। इस त्रासदी के बाद बाढ़-रोधी व्यवस्था पर तेज़ी से काम हुआ। और आज नीदरलैंड के जल प्रबंधन की दुनिया भर में प्रशंसा होती है। भारत को भी इस देश से सीख लेनी चाहिए।
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