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Indian work culture in America: अमेरिका में भारतीयों के साथ होता है ऐसा व्यवहार, जानकर हो जाएंगे हैरान

Indian co-workers in America: अमेरिकी कंपनी में काम कर चुके एक शख्स ने पोस्ट कर बताया भारतीयों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं वहां के कर्मचारी।

By: Sharim ansari | Published: September 3, 2025 2:22:00 PM IST



हाल ही में सोशल मीडिया पर एक भारतीय पेशेवर ने बताया कि कैसे अमेरिकी कार्यालयों में भारतीय कर्मचारियों को अक्सर डंपिंग ग्राउंड दिया जाता है, यानी सारा थकाने वाला और अर्जेंट काम उन्हें सौंप दिया जाता है। उनके इस अनुभव से हज़ारों भारतीयों ने अपने आपको जोड़ा, खासकर वो लोग जिन्होंने अमेरिकी कंपनियों में या वहां के लोगों के साथ काम किया है। कपिल भट्ट नाम के एक यूज़र ने सोशल मीडिया पर यह कहानी शेयर की। उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और फिर छह साल से ज़्यादा समय तक अमेरिका में डेटा साइंस के क्षेत्र में काम किया।

सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये बताया हाल

इससे पहले, वह सैन फ़्रांसिस्को स्थित कंपनी ‘जेनेंटेक’ में काम करते थे। हाल ही में, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर अपना अनुभव साझा किया। अपनी पोस्ट में, भट्ट लिखते हैं कि मेरे अमेरिकी सहकर्मी हमें, यानी भारतीय टीम को, अपने निजी कामों के लिए डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करते हैं। दिन भर उनकी दिनचर्या एक जैसी ही रहती थी, भारतीय टीम को काम सौंपना, बेकार की मीटिंग करना, थोड़ा आराम करना और फिर लॉग ऑफ कर देना।

उन्होंने कहा कि भारतीयों को कठोर, बोरिंग या जल्दी पूरे होने वाले काम मिलते थे। दूसरी ओर, अमेरिका में लोग न हमारी तरह तनाव रखते हैं और न ही हमारी तरह काम करते हैं जबकि हमारी तुलना में अपना दिन मज़े से बिताते हैं। तेज़ी से वायरल हुई इस पोस्ट को पाँच लाख से ज़्यादा  लोग देख चुके हैं। इस पोस्ट पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी राय दी और एक तरह से भारतीय वर्क कल्चर और उसकी कमज़ोरियों पर चर्चा शुरू हो गई।

दूसरे यूज़रों ने भी साझा किया अनुभव

एक यूज़र ने लिखा, ‘मेरी सोसाइटी में आईटी कंपनियों में काम करने वाले कई लोग रहते हैं… वे सब कहते हैं कि यही हाल है। यहाँ तक कि अमेरिका में ऑनसाइट काम करने वाले भारतीय भी सारा काम भारतीय टीम को सौंप देते हैं और सिर्फ़ कोड रिव्यू जैसे काम ही करते हैं।’ दुसरे यूजर ने लिखा, ‘मेरी कंपनी में भी हूबहू समस्या है। असल बात यह है कि भारत में लोग शिकायत नहीं करते… अगर अमेरिकी कर्मचारियों ज़्यादा सैलरी पाते है, तो उन्हें ज़्यादा ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए और हमें भी कुछ प्रतिक्रिया देनी चाहिए।’ एक और प्रतिक्रिया यह थी कि समस्या यह है कि भारत में काम करने वाले बहुत से लोग सीमाएँ तय करना और पेशेवर तरीके से ‘ना’ कहना नहीं जानते। जब तक आप खुद यह नहीं सीखेंगे, सामने वाला हमेशा आप पर काम थोपता रहेगा।

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